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अपने चेहरे पर बस थोड़ी सी मुस्कान सजा लो
बिखरे फूलों को एक गुलदस्ता मिल जाएगा……
अपनी अदाओं में बस थोड़ी सी शोखी मिला लो
किसी परवाने को शमा का ठिकाना पता लग जाएगा…..
अपनी जुल्फों को चेहरे से थोड़ा हटा लो
जैसे बादलों में नया चाँद खिल जाएगा…..
अपनी नज़ाकत में थोड़ी सी नफ़ासत मिला लो
जैसे डूबती किश्ती को किनारा मिल जाएगा ……..
अपने दिल में बस थोड़ा सा मुझे बसा लो
ऐसा लगेगा जैसी मुर्दे को नया जीवन मिल जाएगा…..
इस जाम को बस अपने होठों से लगा लो
जैसे किसी प्यासे को कोई मयख़ाना मिल जाएगा ….
अपनी तिरछी नज़रों को थोड़ा सा घुमा लो
किसी भटके को मंजिल का पता मिल जाएगा……
अपने चेहरे से ज़रा यह नकाब हटा लो
अँधेरे में जैसे कोई दीपक जल जायगा ……
अपनी जुल्फों को थोडा सा लहरा लो
सावन को आने का संदेसा मिल जाएगा ……
अपने होठों से मेरे होठ मिला लो
मुझे जैसे खोया अमृत मिल जायेगा …..
By
Kapil Kumar
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