काली बदरा तू क्यों आई….. Awara Masiha - A Vagabond Angel एक भटकती आत्मा जिसे तलाश है सच की और प्रेम की ! मरने से पहले जी भरकर जीना चाहता हूं ! मर मर कर न तो कल जिया था, न ही कल जिऊंगा !
काली बदरा तू क्यों आई
दिल में यह कैसी आस जगाई
मेरा सजनवा दूर देश में
फिर क्यों यह प्यास बढ़ाई ..
काली बदरा तू क्यों आई …
छम छम से छींटे
छूते हुए गालों को
होठों पर नरमी सी आई
गिरते पानी की बूंदों ने
सीने में जैसे आग सी लगाई
काली बदरा तू क्यों आई….
ठंडी पुरवा ने बदन को जो छुआ तो
उसने भी ली अंगड़ाई
जिस यौवन को था छिपाया दुनिया की नज़रों से
उसने भी रिहाई की आवाज लगाईं
काली बदरा तू क्यों आई….
फिसलता आँचल उभरता यौवन
जैसे चोली से मांगे जुदाई
नज़रों ने शर्माकर
चुपके से देखा पाया की
आँचल में कसमसाती सख्ती आई
गालों पर यह कैसी लाली छाई
काली बदरा तू क्यों आई…..
बिस्तर पर मचलूँ
बदन को तोड़ू तकिये से कर लूँ थोड़ी सी लड़ाई
तड़पते जिस्म ने मुझको बावरा ऐसा किया
मुझपर पर एक नयी मस्ती सी छाई
बदरा में भिगो लू जलता बदन मेरा
करता रहे जग मेरा कितनी भी हंसाई
काली बदरा तू क्यों आई…..
By
Kapil Kumar
Read Comments