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तेरी नाराज़गी

Awara Masiha - A Vagabond Angel
Awara Masiha - A Vagabond Angel
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तेरी नाराज़गी  मुझसे नहीं खुद तुझसे है
तू चाहकर भी इक़रार नहीं कर पाती
यह दर्द मेरे सीने में तेरे दिल का है
तू मोहब्बत को दिल से क़बूल  नहीं कर पाती….

तेरे सीने में रिस्ते कई झख्म है
जिन्हें तू करुणा की पट्टी से छिपाती
उनका दर्द उभरता है मेरे दिल में
जिसे तू जानकर भी  अनजान बन जाती….
तुझसे मेरी चाहत इस शरीर की नहीं जज़्बात की है
यह बात क्यों अक्सर तू भूल जाती
हम इंसान है कोई फरिश्ते नहीं
फिर तू आदर्शो की इतनी ऊँची दिवार
हमारे बीच क्यों बनाती…..

तू  मेरी सिर्फ दिलरुबा ही नहीं एक  हमसफ़र भी है
फिर क्यों अपनी बेरुखी को बार बार दिखाती
तुझे मोहब्बत के साथ मुझे रास्ता भी दिखाना है
फिर हम दोनों के बीच यह कसमकश के भंवर क्यों उठाती….
अब इन शिकवे शिकायतों को हमेशा के लिए छोड़ दे
मुझपे भरोसा कर
अपने को मेरी बांहो में ढीला छोड़ दे …….
By
Kapil Kumar

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