Menu
blogid : 25540 postid : 1311360

मेरा दिल का घर

Awara Masiha - A Vagabond Angel
Awara Masiha - A Vagabond Angel
  • 199 Posts
  • 2 Comments


मेरा टूटा फूटा दिल का घर, अपने आप में जुदा है
कहने को तो है परिवार की एक  छत
पर टूटी फूटी कई अंह की छतों में बंटा है ……


इन टूटी छतों का बोझ ढोती , कुछ उम्मीदों की दीवारें है
जो जाने अनजानें  दूसरी छतों से भी जुड़ी है ……
इन झुकती सी छतों के नीचे , कुछ दबे हुए
जज्बात ,आक्रोश और ख्वाहिशों  की साँसे हर दिन सिसकती है ……


कभी वह इन दीवारों का , तो कभी छतों की मजबूती का इम्तिहान ,
अपने तरीके से गाहे बगाहे लेती है …..
हर कोई इसमें रहने वाला ,अपनी उम्मीदों की दीवार  में ,
बेदर्दी से अपनी ख्वाबो की कीले ठोकता है…..
बिना यह जाने और समझे ,की इस दिवार के पीछे
कोई दूसरा भी गहरी नींद में सोता है…..
यह और बात है की ,इस दर्द और चुभन का अहसास ,
सिर्फ इस घर को होता है …..


कहने को तो सब अपनी अपनी छत के मालिक है ,
पर जब बात आती है घर की मरम्मत की,
वह अकेला सिर्फ अपनी किस्मत पर रोता है ……
इस घर में रहने वाले अपनी मर्जी से आते जाते है
मन हुआ कभी उनका, तो देदी झाड़ू
वरना अकसर गंदगी ही फैलाते है ……


जब डर लगता है उन्हें अकेलेपन के अँधेरे से
बस तभी मोहब्ब्त का दिया जलाते है …..
अक्सर घर अपनी बदहाली पे रोता है
क्योंकि यहां रहने वाला हर शक्श इसे
बस कुछ वक़्त गुज़ारने  का घर समझता है …..


मैं डरता हूँ अक्सर सोचकर यह बात
कब तक यह घर सहता रहेगा, ऐसी बिन मांगी सौगात …..
जब एक  दिन उम्मीदों की दीवारे ,
अपने अहं के बोझ से टूट कर गिर जाएंगी ….
रहने वालो का तो पता नहीं
इस घर को जरूर तबाह कर जाएंगी …

By
Kapil Kumar


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh