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ख़ामोशी की दिवार……..

Awara Masiha - A Vagabond Angel
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मुझे अपने से दूर भगाना तो तेरा अधिकार है

पर मैं तुझसे दूर चला जायूं तो यह मुझपे धिक्कार है ….

तू मुझसे रूठ जाए तो यह तेरी अदा है
मैं तुझे फिर ना मनाऊँ  यह मेरी खता है …..

तू उड़ाले हँसी मेरी , यह तेरा अल्लहड़पन  है
मैं बुरा मान जाऊँ  तो यह मेरा बचपना है ……

तू नज़रें  झुका कर भी यही कहेगी की तू मुझसे ख़फ़ा  है
तुझे नाराज समझकर ना चुम्मू तो यह मेरी खुद की सज़ा  है …….

तू दे उलहाने मुझे हज़ार  तो यह तेरी शोखी है
उनमे मैं उलझ कर मैं रह जाऊं  तो यह मेरी मदहोशी है …..

तेरा रूठना ही मुझसे तेरी मोहब्बत की पहचान है
फिर भी तेरे इक़रार करने की ज़िद  करना
मेरी नासमझी की पहचान है …..

आ इन गिले शिकवे के किस्से को  छोड़ दें
नयी बहार  पर इस ख़ामोशी की दिवार को तोड़ दें  …..

By
Kapil Kumar

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