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घाटे का सौदा !!

Awara Masiha - A Vagabond Angel
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अरे शर्माजी आपने सुना क्या ? क्या हुआ भाई?.. मिश्राजी हैरानी भरी नज़रों से देखते हुए बोले ? अरे सामने वाले गुप्ताजी ने मकान बेच दिया  ..क्या कह रहो ..अरे उन्हें क्या जरुरत पड गई ..इतना बड़ा कदम उठाने की ..मिश्राजी भड़कते हुए बोले ?

अरे आप भी ना कमाल करते हो मिश्राजी ….पहले आपको कोई खबर दो तो …आप ..दुसरे पर  ही चढ़ जातो ….शर्मा जी ने कुछ नाराज़गी  भरे स्वर में कहा …आप को शायद मालुम नहीं बहुत बड़ा घाटा हुआ गुप्ताजी को स्टॉक मार्किट में ..बस घाटा पूरा करने के लिए यह सब करना पड़ा ….


मिश्राजी ने पहले मन ही मन अपने मन को शांति प्रदान की ..फिर बड़े ही दार्शनिक अंदाज में बोले …अरे यह स्टॉक मार्किट सब साला जुआ है …आदमी एक  दिन में अमीर होना चाहता है …अब भुगतो ….हम तो भाई ….

“कम खा ….चाहे …गम खा”  की फिलोसोफी में विश्वास रखते है…….

शर्माजी ने भी उनकी हाँ में हाँ मिलाई और बोले आप बिलकुल ठीक बोले ..यह साला ज्यादा के चक्कर में आदमी …अपना सब कुछ लुटा देता है …मैं वहां  से गुज़र  रहा था और सोचने लगा क्या मिश्राजी और शर्माजी का आंकलन  सही है ? …फिर मैंने  इनकी जिन्दगी में झांकना शुरू किया तो देखा …

“हर आदमी जिन्दगी में जुआ खेलता है फर्क सिर्फ इतना है …की पैसों  का दर्द हमें और दर्द से कुछ ज्यादा बड़ा लगता है”…..

मुझे याद है ….वह  दिन जिस दिन मिश्राजी बड़े खुश नजर आ रहे थे …मैंने  पूछा अंकल जी क्या बात है ..आज आपके चेहरे पर अलग ही नूर झलक रहा है ? तो मुझे डांटते हुए बोले ..अरे तुम लोग तो बस यूँही बड़ी बड़ी बाते करते रह गए ..देखो मेरी बेटी को उसने कॉलेज में टॉप किया है और अब IAS बनने की तैयारी कर रही है …..अब अंकल जी से क्या कहते ..कोशिस तो हमने भी पूरी की थी ..बस …

कभी खुदा तो कभी बिसाले सनम ना मिला …

और थक हार कर …किसी मैनेजमेंट कॉलेज से MBA का डिप्लोमा ले….. गली गली धक्के खाने की मार्केटिंग की नौकरी पकड ली …अब IAS तो हमारे ख्वाबों  की बात थी …पर मिश्राजी की लड़की संगीता तो हमारे दिल की धड़कन  थी …तो उनकी ख़ुशी मेरी ख़ुशी थी …सोचा आज जान से जब मिलूँगा तो अपने हिस्से की मिठाई भी वसूल कर लूँगा …..

शाम को जब संगीता से मिला तो ..उसके पाँव जमींन पर ना पड़ते थे ..कॉलेज टॉप करने की खबर ने उसके अन्दर एक  जोश और नयी उर्जा भर सी दी थी…जो संगीता कल तक मेरे आगे कुछ दबी शांत सी रहती थी आज ख़ुशी में एक  चिड़िया की तरह चहक रही थी …..

ना जाने क्यों उसे इतना खुश देख मेरा मन अंदर ही अंदर डरने लगा …उसकी आँखों की चमक में मुझे सपनों  के वे  महल तैरते दिखाई दिए …जो मेरी मौजूदा हालत का मज़ाक उड़ा रहे थे ….

मैं अपने ही सपनों  में खोया था ….रोज मैं बोलता था और संगीता सुनती थी…पर आज सिर्फ संगीता बोल रही थी और मैं एक  कमज़ोर  और हारे हुए खिलाडी की तरह उसकी बातें सुन रहा था …. जो सपना कल मैंने देखा था …आज वही सपना पूरा करने का जोश संगीता की नसों में हिल्लोरे ले रहा था ….संगीता बड़े जोश में बोली ..कपिल बस आज से  IAS  की तैयारी शुरू और मुझे तुम्हारी किताबे और गाइडेंस की जरुरत पड़ेगी …बस अपना समय मेरे लिए फ्री रखना …

उसकी यह मासूम बाते मेरे कानों में पिघले लोहे की तरह चुभने लगी …..शायद मेरी अपनी कुंठा या विश्वास की कमी या नाकामी थी …जो संगीता के सपनों  की ऊंचाईयो को देख उनसे डरने लगी …

मैं बोला अरे क्यों अपना समय ख़राब करती हो….IAS  में सिलेक्शन कोई गारंटी नहीं …उससे अच्छा होगा ..अगर तुम भी किसी मैनेजमेंट कॉलेज से किसी MBA या MCA कर लो …..तुम्हे तो किसी भी अच्छे कॉलेज में एडमिशन यूँही मिल जाएग …कम से कम तुम अपने कमाने लायक योग्यता तो ले लोगी …

संगीता ने मुझे ऊपर से नीचे घूरा  और बोली बस तुम डरपोक के डरपोक रहना …अरे जिन्दगी में कुछ बनने या पाने के लिए रिस्क तो लेना ही पड़ता है …

उसकी बात में दम था शायद मैंने  अपने समय में अपना ध्यान एक  ही चीज पर  लगाया होता तो कामयाब होगया होता ….पर मुझे तो सेफ खेलने की आदत थी …जब इंजीनियरिंग की तैयारी करनी थी तब …कोचिंग के पैसे बचाने और 12  वी के बोर्ड एग्जाम पर  ज्यादा ध्यान देना …बस इस चक्कर में इंजीनियरिंग में सिलेक्शन हो नहीं पाया और जब बी एस सी करके निबटा तो अपने को बेकार और बेरोजगार पाया …..कुछ और ना होता देख मैंने  पास की किसी कॉलेज में MBA में एडमिशन ले लिया था…..

ना जाने उस दिन के बाद मेरे और संगीता के बीच एक  ऐसी दीवार खड़ी हो गई ..जो ना उसने गिरानी चाही और ना ही कभी मैंने  लांघने की कोशिश की …

मैंने  वक़्त से समझोता कर अपना ध्यान करियर में लगा लिया ..सोचा जब कोई अच्छी सी नौकरी होगी तब ही संगीता से शादी की बात करूँगा …

देखते ही देखते कई साल गुजर गए …कल तक ऊँचे ऊँचे सपनो के बादलो में उड़ने वाली संगीता नाकामियों के अंधेरो में घिर गई …बड़ी कोशिस के बाद भी वह  आई ए एस  में सेलेक्ट नहीं हो पाई और इसी चक्कर में पड उसने ना तो किसी मैनेजमेंट कॉलेज में ना ही किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया …

IAS  के तीनो प्रयास ख़त्म करने के बाद ….जब संगीता ने अपने आस पास देखा तो उसे बहुत झटका सा लगा ..कल की कॉलेज टोपर संगीता आज इक बेरोजगार संगीता बन चुकी थी …जो लड़के-लड़कियां उससे पढाई में मदद लेने आते थे …आज बड़ी बड़ी कम्पनी में अच्छे अच्छे ओहदों पर  आसीन हो चुके थे …

कुछ तो संगीता की IAS  की पढाई ..कुछ मेरी अपनी करियर की उलझनों के कारण मैं भी उससे ज्यादा ना मिल पाता…

एक  दिन यूँही संगीता के घर गया तो देखा ..वह  कुछ उदास सी बैठी हुई थी …पूछने पर कहने लगी …की IAS  के चक्कर में मैंने  ना तो कोई प्रोफेशनल डिग्री ली और ना ही किसी और नौकरी का प्रयास किया …अब जब नौकरी के लिए कहीं  आवेदन करती हूँ तो ….सब जगह से रिजेक्शन आ जाता है …की आपके पास कोई इंजीनियरिंग या मैनेजमेंट की योग्यता या अनुभव नहीं है ……

सोचती हूँ कोई भी कैसी भी नौकरी कर लू…. घर बैठे बैठे बोर होती हूँ ….अब मेरे पास तो कोई ऐसी योग्यता ही नहीं ..जिससे मुझे कोई अच्छी नौकरी मिल जाए ….बड़ी मुश्किल से किसी स्कूल से टीचर की नौकरी का इंटरव्यू आया और तनख्वा  भी बहुत कम है ….

मैंने  संगीता को दिलासा दिलाया और बोला …क्या फर्क पड़ता है जिन्दगी में हर कोई अपना रिस्क लेता है ..तुमने लिया …अब सफलता या असफलता तो किस्मत की बात है ….

संगीता ने मायूसी में सर हिलाया और बोली काश मैंने  भी किसी इंजीनियरिंग कॉलेज से कोई डिग्री ले ली होती…. तो मैं भी आज किसी अच्छी कंपनी में अच्छी तनख्वा पर अच्छे पद पर होती …..मेरा तो कितने ही बड़े बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज सिलेक्शन हो गया था …पर IAS  बनने की सनक में मैंने  अपना करियर दांव पर  लगा दिया!! ….

धीरे धीरे हम दोनों का प्रेम फिर से परवाने चढ़ने लगा और एक  दिन मिश्राजी भी  हम दोनों की शादी के लिए रजामंद हो गए ….

अचानक एक  दिन मिश्राजी हमारे घर आए और मेरे और संगीता का रिश्ता तोड़ दिया ..बोले बड़े अफ़सोस की बात है ….हमें अपने किसी रिश्तेदार के लडके के लिए संगीता का रिश्ता आया है …..घर बहुत ही अच्छा है …

जब मैंने  उस लड़के के बारे में पता किया तो मुझे हैरानी हुई …की मिश्राजी जैसे समझदार इन्सान ने क्यों कर अपनी सुशील  और समझदार बेटी किसी ऐबी इन्सान को दे दी …शायद लड़का मुझे ज्यादा पढ़ा लिखा और सबसे बड़ी बात मेरे से कई गुना अमीर घर का था ….

शायद मिश्राजी को वह  रिश्ता मेरे रिश्ते से ज्यादा मुनाफे का सौदा लगा …

पर कुछ महीनो बाद जब मेरी संगीता से बात हुई तो मुझे पता चला की मिश्राजी ने गलत दांव  खेल दिया था …जिसका नुक्सान उनकी बेटी चूका रही थी ….

अभी मैं कुछ सोच विचार में डूबा हुआ था की ..शर्माजी का लड़का राजेश ..मेरे पास आकर बोला भैया ..लो मिठाई खाओ मेरी नौकरी लग गई है …

शर्माजी का लड़का राजेश हमारे साथ ही क्रिकेट खेलकर बड़ा हुआ था ..वोह अक्सर मुझ से अपनी समस्या शेयर का लिया करता था …राजेश पढने में बहुत ही होशियार था ….कुछ साल पहले वह 10 वी में अच्छे नम्बरों से पास हुआ तो मैंने  उससे कहा आजकल कम्पटीशन का जमाना है ..तुम अभी से कोई अच्छी कोचिंग ज्वाइन कर लो ..जिससे तुम्हे IIT  की तैयारी के लिए अच्छा मार्गदर्शन मिल जाएगा ….

उसने मेरी बात शर्माजी को बताई तो शर्माजी ने उसकी बात को हवा में उड़ा दिया ….मेरे काफी जोर देने पर  शर्माजी ने अपना रटा रटाया ..जुमला सुना दिया ….

अरे इसके फूफा को देखो ..हिंदी मध्यम में पढ़े …फिर भी IIT में बिना किसी कोचिंग के सेलेक्ट हो गए थे … अगर यह भी काबिल होगा तो इसका भी सिलेक्शन हो जाएगा …. मैं क्यों कोचिंग वालों को एक -दो लाख रुपया फ्री में दूँ ..

मैंने  अपनी तरफ से शर्माजी को खूब समझाया …की हर बच्चे की अपनी सीमा होती है …कभी किसी से तुलना करके ..हम उसकी योग्यता का आंकलन  नहीं कर सकते ..आज यह सिर्फ एक -दो  लाख की बात है ..कल अगर यह नाकाम होगा तो ..कम से कम राजेश के मन में मेरी तरह यह मलाल ना होगा ..की काश  मैं कोई कोचिंग कर लेता ….

शर्माजी को मेरी बात ना सुननी थी तो ना उन्होंने सुनी …राजेश भी जिद्दी था मेरे बहुत समझाने पर  की कि IIT  के अलावा किसी और कॉलेज में आवेदन कर ले …पर उसने अपनी जिद्द में किसी और कॉलेज में अप्लाई ना किया …

बाप बेटे की जिद्द का परिणाम सुखद ना निकला …राजेश का IIT  में सिलेक्शन नहीं हुआ और निराशा में उसने किसी पोलिटेकनिक स्कूल में डिप्लोमा में एडमिशन ले लिया ….

बाप बेटे के झगड़े  का यह परिणाम निकला …उस दिन के बाद शर्माजी और राजेश में एक  चुप्पी की दीवार खाड़ी हो गई …जो फिर कभी नहीं टूटी…

शायद उस वक़्त शर्माजी ने एक लाख -दो रूपये तो बचा लिए ….पर बेटे के भविष्य को वह  रौशनी और दिशा ना दे सके जिसका वह  अधिकारी था ….

आज जब मिश्राजी और शर्माजी की बाते सुन रहा था ….तो मेरा मन मुझसे से बार बार यह प्रश्न  कर रहा था ….

की जीवन में हम सब कहीं  ना कहीं  किसी ना किसी चीज पर जाने या अनजाने दांव लगाते है …बस फर्क इतना है …पैसो का खोना हमें दीखता है …रिश्तो और भविष्य को हम तकदीर के भरोसे छोड़ देते है …..

By
Kapil Kumar


Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental”. The Author will not be responsible for your deeds.

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