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बलात्कारी का मनोविज्ञान !

Awara Masiha - A Vagabond Angel
Awara Masiha - A Vagabond Angel
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शिल्पा का कॉलेज में पहला महिना था और इन कुछ दिनों में उसने अपने काफी सारे दोस्त बना लिए थे …..शिल्पा इक इज्जतदार मध्यम वर्ग  घर की इक आम सी लड़की थी….. जो अपनी मेहनत और लगन से अपने भविष्य को सवांरने का सपना ले इस कॉलेज में आई थी….कुछ लोगो से वोह दूर की सलाम करके आँखे नीची करके चुप चाप निकल जाती थी …पर कभी कभी वोह हो जाता है जिसे आप अपनी तरफ से अवॉयड करना चाहते है पर परिस्थिति आपको मजबूर करदेती है ..

आज रॉकी ने उसे अकेला आते देख और पीछे से आ उसकी चुनरी खिंच ली ..

उसे उसकी इस हरकत पे बहुत गुस्सा आया और जोर से चीखी ..तुम्हारी हिम्मत कैसे हुयी ?..

बेशर्म बना रॉकी जोर से हंसा और बोला ………चिल्ल बेबी चिल्ल !…….

उसकी इस हरकत पे वंहा खड़े और स्टूडेंट भी हंसने लगे उन्हें हँसता देख शिल्पा नजर नीची कर चुप चाप वंहा से चली गयी!

रॉकी अपनी इस मर्दानी हरकत पे अपनी शेखी अपने दोस्तों में हांकने लगा….

रॉकी इक अमीर मां बाप की इक बिगडैल औलाद थी , जिनका काम कॉलेज में आकर टाइम पास करना , कभी लडकियों को छेड़ना तो कभी छोटी मोटी गुंडा टाइप नेतागिरी करना था !उसके  मां बाप भी जानते थे की उनकी औलाद कितनी काबिल है ..उन्हें पता था उनका बेटा सिर्फ अपना टाइम पास कर रहा है आखिर में वोह उनका बिज़नस संभाल ही लेगा , वोह सोचते थे , लेने दो उसे अपनी जवानी की नादानी का मजा .. कोई शिकायत आती तो वोह शिकायत वाले को ही डांट कर अपने घर से भगा देते.. उनकी इस बेवकूफी और अंधे लाड प्यार ने उसे आवारा और बदचलन बना दिया ..

कॉलेज वाले भी उसे कुछ ना कहते , क्यूंकि कॉलेज के और लोकल इलेक्शन  के समय छोटे मोटे नेता उसकी मदद लेते रहते थे और प्रिंसिपल और स्टाफ को भी जाने अनजाने अपने टेढ़े मेढ़े काम निकालने का मौका मिल जाता था और कुछ लफंगे टाइप लडको को बिना जेब खर्च किये कॉलेज की कैंटीन से चाय नाश्ता ..

पर आज रॉकी ने बर्र के छत्ते में हाथ डाला था ….

रेखा के पापा इस कॉलेज के प्रिंसिपल थे…… तो शिल्पा ने सोचा….. रेखा उसकी मदद जरुर करेगी ……

शिल्पा गुस्से में भुनभुनाती अपनी दोस्त रेखा के पास आकर बोली ……..

मेरे साथ प्रिंसिपल के ऑफिस अभी के अभी चल …… अरे यार क्या हो गया , जो तू इतना गर्मी खा रही है……रेखा ने अपना हाथ झटकते हुए कहा ….

उस लफंगे रॉकी ने आज मेरी चुनरी खिंच ली और यह नजारा देख सब के सब हंस रहे थे…….. मुझे प्रिंसिपल के पास जाकर अभी के अभी उसकी शिकायत करनी है …

अरे इतनी सी बात , छोड़ न यार क्यों पंगा लेती है .. रेखा ने उसे, बात को भूल जाने के लिए कहा .. पर शिल्पा ना मानी और अकेली खुद प्रिंसिपल के ऑफिस में चली गयी …

प्रिंसिपल ने जब शिल्पा की शिकायत सुनी तो बोला……. मैं उसे कॉलेज से 2 दिन के लिए निकाल तो दूंगा पर इसे तुम्हे क्या मिलेगा …… छोड़ो  उसे भूल जाओ और आयन्दा ऐसे लोगो के मुंह ना लगना ..

पर सर मेने तो कुछ किया ही नहीं ,ऐसे तो उसकी हिम्मत बढती जाएगी आप उसपे एक्शन क्यों नहीं लेते ..शिल्पा ने नाराजगी में प्रिंसिपल से कहा ………..

प्रिंसिपल ने इक पल सोचा और बोला ……..बताओ ,क्या  उस वक़्त और भी लड़के लड़कियां थे वंहा…. जिसने उसे यह करते देखा .. जाओ किसी इक को लेकर आओ .. ऐसा कह प्रिंसिपल ने उसे बहार जाने का रास्ता दिखा दिया…….. ..

शिल्पा गुस्से और अपमान का घूंट पीकर बहार आई और वंहा खड़े अपने दोस्तों से विनती सी करने लगी की कोई उसके साथ चल के प्रिंसिपल के रूम में रॉकी की शिकायत में उसका साथ देदे .. पर उनमे से किसी की इतनी हिम्मत ना हुयी की वोह शिल्पा का साथ देने के लिए आगे बढ़ते .. शिल्पा अपना सा मुंह लेकर वंहा से चली गयी ……

शाम का वक़्त था और कॉलेज बंद हो चूका था  और सब स्टूडेंट अपने अपने घर जा चुके थे …….. कुछ स्टूडेंट्स अपनी एक्स्ट्रा क्लास के कारण रुके हुए थे और कॉलेज की इक बस उन्हें  ले जाने के लिए इन्तजार कर रही थी ……

रेखा , रॉकी  और कुछ रॉकी के चमचे-चमची इस बस में थे ……….

धीरे धीरे सब अपने स्टॉप पर उतरते जा रहे थे ..रेखा का स्टॉप रॉकी के घर के नजदीक था .. अब बस में सिर्फ रॉकी और उसके दो दोस्त थे .. अचानक इक चमचे ने रॉकी को हवा दी और बोला…..

गुरु आज सुबह यह, प्रिंसिपल की लोंडिया (रेखा ) बड़ी उछल रही थी .. शिल्पा का और इसका बड़ा याराना है .. कहो तो  आज इसे समझा दे…….. ..

रॉकी थोडा सा नशे में और थोडा सा नींद में था  और जोश में आकर  रेखा की सीट के पास बैठ गया .. और बोला …तू प्रिंसिपल की लड़की है तो ज्यादा उड़ने की कोशिस मत करियो वरना तेरी चुनरी के साथ सलवार भी खीच लेंगे ….

रॉकी की इस बदतमीजी पे रेखा को बहुत गुस्सा आया और उसने ड्राईवर से उसकी शिकायत की….. पर ड्राईवर भी रॉकी के पैसो की दारू और मुर्गे का मजा समय समय पर लेता था और अन्दर ही अन्दर कॉलेज के  प्रिंसिपल से चिढ़ता था ..वोह हंसा और बोला रॉकी बॉस,  आज इसे सबक सीखा दो ……ताकि दूसरी लोंडिया आपकी इज्जत करे ….

गिडगिडयी पर उन दरिंदो को उस पे तरस ना आया  और उन्होंने वोह काम कर डाला जिससे

इंसानियत सरे बाजार रुसवा हो गयी और हैवानियत जीत गयी ……

कृष्ण उसकी मदद करने के लिए नहीं था …

शायद हमारे सामाज ने रॉकी जैसे लडको को अगर पहले ही सबक सिखाया होता तो आज इक “रेखा”समाज में यूँ सरे आम बेआबरू न होती ..

उसकी इस हालत के लिए सिर्फ “रॉकी ” ही नहीं  , उसके मां – बाप , कॉलेज  का स्टाफ , उसके दोस्त  और हम सब भी कंही न कंही दोषी है , जो किसी मासूम की बैजात्ति होते देख आंख मूंद लेते है या अपने काम से काम का बहाना कर या फिर दुसरे के रोने में अपना गन्दा और घिनोना आनंद ले लेते है …..

By

Kapil Kumar

Awara Masiha

Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.’ ”

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