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श्राद्ध , पाखंड या ? …

Awara Masiha - A Vagabond Angel
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कुछ दिन पहले श्राद्ध का सीजन था वैसे भी भगवन से डरने वाले बेचारी हिन्दू जनता तो हर मौसम में किसी ना किसी को पूजने का बहाना ढूंड ही लेती है ….शायद यंहा बाकी दुनिया से ज्यादा पाप होते है इसलिए हर महीने कोई ना कोई पूजा का महोत्सव आटा ही रहता है या फिर इस बहाने लोगो को अपने चरित्र का मूल्याकन करने का बहाना मिल जाता है ….

तो बस बीवी भी पीछे लग गई की मंदिर चलो और बढे बुढो का श्राद्ध की पूजा करवानी है ….मेने भी हजार बहाने बनाये ..की मंदिर ना जाना पड़े ..मुझे वंहा की मैनेजमेंट और उनके कर्मचारियों के मंदिर को बिजनेस बनाने के तरीके से सख्त ऐतराज है …की … फ़लां पूजा का यह रेट और उस पूजा का वोह रेट ..जैसे भगवन ना होकर कोई प्रोडक्ट हो…

और सबसे चिढने वाली बात की पंडितो का जजमान की जेब पे गीद्ध की तरह नजरे गडा कर रखना की कब उन्हें वोह अंडर टेबल कुछ दान के नाम पे दे ….क्योकि हमारे यंहा पंडित लोग मंदिर के कर्मचारी है और उन्हें मंदिर के ट्रस्ट की तरफ से मासिक वेतन और सुविधाए मिलती है ….पर आदत तो आदत है ..भले ही कितना मिल जाए पर जजमान के हाथ से कुछ नगद का स्वाद ही अलग होता है ….वैसे भी इतने सालो से उनके पुरखे सिर्फ दान दक्षिणा पर ही तो पलते आए है …

खेर किसी तरह रो पीट कर पंडित ने पूजा की उसे भी पता था की मुझे उससे सख्त चीढ़ है ..पर मेरे जैसे लोगो के चिढने से उसकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था ..क्योकि हमारी बीवी जैसी ना जाने कितनी औरते और आदमी है जो आज भी लोक परलोक  के मायाजाल में उलझे है …भले ही इस लोक में वोह कुछ ना करे पर परलोक अच्छा होना चाहिए …

पूजा के वक़्त पंडित ने ना जाने खानदान में किस किस के नाम बुलवाए और मैं इक सधे हुए तोते की तरह उसके द्वारा बोले गए उलटे सीधे मन्त्र को दोहराता रहा …जब पूजा ख़त्म हो गई तो अचानक मुझे कुछ सुझा और मेने पंडित से पुछा …

पंडित जी हिन्दू धर्म में तो आत्मा अमर है ..यह शारीर तो सिर्फ इक चोला है …इन्सान का पुनर्जन्म होता है ..ठीक है ना ..पंडित बड़े अभिमान से बोला बिलकुल ठीक ..हाँ ऐसा ही होता है …जो मरता है ..जिसे मोक्ष नहीं मिलता उसकी आत्मा भटकती है और फिर से शारीर धारण कर दूसरा जन्म लेती है …

मैं बोला अगर आत्मा ने जन्म ले लिया ….तो श्राद्ध हम किसका कर रहे है ? और अगर जन्म नहीं लिया तो इसका मतलब उसे मोक्ष मिल गया …फिर कौन और कैसे भटक रहा है ..जिसका मैं श्राद्ध करूँ ?

क्या मैं अपने बड़े बुढो का श्राद्ध इस लिए कर रहा हूँ की उनकी आत्मा ने अभी तक जन्म नहीं लिया ..अगर ले लिया तो वोह भी मेरे जैसे इन्सान है ..कंही ऐसा तो नहीं जब मेने जन्म लिया मेरे पिछले जन्म का बेटा मेरा अभी तक श्राद्ध कर रहा हो ….

आपने पूजा में मेरे सारे बड़े बुढो के नाम गिनवाए की उनकी आत्मा को शांति मिले ..इसका मतलब की उनका अभी तक जन्म नहीं हुआ ?

या हम हर साल श्राद्ध करके उन्हें जन्म नहीं लेने दे रहे ?

मेरी बाते सून पंडित का दिमाग गर्म हो गया उससे कोई सही जवाब नहीं सुझा तो झल्ला का बोला ..

आपको मामूली पूजा आती नहीं इतनी बड़ी बड़ी बातो में अपना दिमाग खरब कर रहे हो ….

खेर मेरे प्रशन का मुझे कोई संतोषजनक उत्तर कंही नहीं मिला …की हम श्राद्ध किसका और क्यों करते आ रहे है …या तो इन्सान मरने के बाद सिर्फ आत्मा बनके भटकता है तो इसका मतलब पुनर्जन्म जैसी चीज कुछ नहीं या आत्मा का कोई अर्थ नहीं ..या फिर हम अपने ही बनाये सिधान्तो को सही नहीं समझा पा रहे ….

Kapil Kumar

Awara Masiha


Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental”. The Author will not be responsible for your deeds.



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