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सपनों का राजकुमार !!

Awara Masiha - A Vagabond Angel
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और फिर इक सजीला सुन्दर नौजवान राजकुमार नील घोड़े पे सवार होकर आया और उस गरीब लड़की को अपनी रानी बना कर अपने महल में ले गया …..

आप सब ने अपने बचपन में ऐसी मिलती जुलती कहानी जरुर सुनी होगी .. कभी दादी से तो कभी अपनी माँ से … हर समाज में या देश में इस तरह की कहानी कभी सिंडिरेल्ला की तो कभी स्नो वाइट की या कभी रानी और लाल परी के माध्यम से बच्चो को सुनाई जाती रही है …

इन कहानियो में इक सुन्दर,नेक , दयावान , किन्तु ग़रीब लड़की की कहानी का अंत सपनो जैसा होता ..जिसमे नीले घोड़े पे सवार राजकुमार उन्हें सारी विपदाओ से निकाल कर अपने साथ ले जाता …इन कहानियो को सुनते सुनते …बचपन में ही लडकियों के मन के कोने में इक छोटा सा बीज जाने अनजाने अंकुरित हो जाता ….की ….इक दिन उनके भी सपनो का राजकुमार आएगा और उन्हें भी अपने साथ अपने महल ले जाएगा …

पर हकीकत में क्या ऐसा होता है ?

देखे तो यह इक रोचक पहलु है ..की हर माँ को अपना बच्चा दुनिया का सबसे सुन्दर बच्चा लगता है ….अब किसी बंदरिया के लिए बंदर , गाय के लिए बछड़ा , शेरनी के लिए उसका बच्चा या इक औरत के लिए अपने अपने बच्चे की सुन्दरता का मापदंड सिर्फ उनके ह्रदय में छिपी ममता के अनुसार होता है …. हम उसे दुनिया की किसी तराजू से तोल या किसी पैमाने से नाप नहीं सकते ….

जब किसी घर में कन्या का जन्म होता है तो उसके बचपन से जवान होने के सफर में माँ बाप उसमे इतने डूब जाते है की …. उन्हें अपनी नाजुक कमसिन फूल सी कन्या कब स्त्री रूप धारण कर लेती है पता ही नहीं चलता ?

जब उन्हें अडूस पडूस और रिश्तेदारों की खानाफुसी या आस पास के आवारा भंवरो की गुंजन सुनाई देती है ..तब उन्हें अहसास होता है ..की ..जिसे वोह अपने चमन की इक मासूम कली समझ रहे थे …अब वोह फूल बनकर इस जगत में अपनी खुशबु बिखरने लगी है …

अब शुरू होता है माता पिता का अपनी लाडली के लिए सुयोग्य वर की तलाश का भागिरिथि प्रयास ….जैसे की मेने पहले लिखा ..की हर माँ के लिए उसका बच्चा आँखों का तारा है ..उसमे उन्हें किसी तरह का कोई खोट , कमी या कमजोरी नहीं झलकती ….

खासतौर से लडकियों को लेकर पिता अति सवेदनशील होता है ..क्योकि उसकी नाजो नखरो और लाड प्यार में पली उसकी लाडली या यूँ कहे की उसके जीवन की जमा पूंजी को किसी और के हवाले करने का वक़्त उसे जाने अनजाने डर से सताने लगता है  ….पिता की यही कमजोरी उसे ऐसे मायाजाल में उलझा देती है ….जो आने वाले वक़्त में कई बार इक भयानक भंवर का निर्माण कर देती है …..

मुझे याद है ..जब मेरी चचेरी बहन के रिश्ते के लिए मेरे अंकल लड़का देखने जाते थे ..तो ..मुझे समझ ना आता .की ..किसी लडको को चुनने का उनका क्या मापदंड था ?शायद मेरे अंकल मेरी बहन से अत्यधिक लगाव रखते थे …. जिसकी वजह से उन्हें हर उस लड़के में कोई न कोई कमी नजर आती ..जो हमारी हैसियत , मान सम्मान और बजट के अंदर आता था …. इस विषय पे मेरी उनसे कई बार बहस भी हो जाती ..की आप किसी बहुत बड़े घर का लड़का ..किस उद्देश्य से देखने चले गए …यह जानते हुए भी ..हमारी माली हैसियत उनकी इच्छाओ की पूर्ति में असम्भव है …तो उनका इक ही जवाब होता ..की ..मै इसे अच्छे से अच्छे घर में देना चाहता हूँ …

मुझे यह बात आज तक समझ नहीं आई ..की हर कन्या का पिता..क्यों अपनी लड़की को अच्छे से अच्छे घर में देना चाहता है ..इसमें उसका क्या अभिप्राय है ?

इसका मतलब यह है की आपका घर अच्छा नहीं है ? इसलिए आप अपनी बेटी को अपने से अच्छे घर में देना चाहते है या आपके पास वोह सब सुख और सुविधा नहीं है ..जिनके सपने आप अपनी लड़की के लिए देख रहे है …पर सबसे बड़ी और सोचने वाली बात है ..की ..कोई क्यों आपकी लाडली को अपने घर में लेकर आएगा …जब की आपकी माली हालत उनसे कमजोर है ? फिर आप किस उम्मीद पे ऐसे सपने संजो रहे है ?

दुनिया में शादी इक ऐसा सौदा है जो सिर्फ बराबरी वालो में होता है …. कहने को हमारे पास अपवाद है ..पर कडवी हकीकत यही है ..की गरीब की लड़की गरीब को , मध्यम वर्ग की मध्यम वर्ग में और अमीर की लड़की अमीर को ही बिहाही जाती है …

चाहे आप इंग्लैंड का शाही घराना देखे या देश विदेश के पूंजीपति या प्रसिद्ध फ़िल्मी कलाकार …सब के गठबंधन अपनी अपनी हैसियत से होते है ….इनमे अपवाद बस इतना होता है …की कई बार कोई अमीर शहजादा अपना दिल किसी गरीब लड़की को दे बैठता है और उसे अपनी बेगम बना लेता है ..पर तय शुदा शादी में ऐसा अपवाद भी नहीं होता …

जब हम अच्छी तरह जानते है ..की हमारी चादर जितनी हो उतने ही हमारे पैर भी फैलेंगे तो ..फिर इक लड़की का पिता …शादी के लिए क्यों अपनी चादर की लम्बाई भूल जाता है ?

क्यों वोह उसे अपने से अच्छे घर देने के चक्कर में अपना सबकुछ लुटा देता है या फिर कर्जदार होजाता है ….इन्ही वजहों से दहेज़ रूपी दानव का  जन्म से होता है….की किसी तरह अपनी लड़की को झूटे मान सम्मान से विदा कर दे ….कई बार लड़की का पिता इसी झूटी आन बान और शान के चक्कर में ऐसे लड़के का चुनाव कर लेता है ..जिसमे कोई ना कोई बहुत बड़ा खोट होता है …

यंहा यह सोचने वाली बात है …आखिर कोई परिवार ..क्यों कर ..किसी गरीब घर की लड़की को अपने घर लाएगा ? या तो लड़की देखने में इन्तहा खुबसूरत हो या वोह कोई बहुत ही पढ़ी लिखी हो या कोई ऐसा मुकाम हासिल किया हो जिसके आगे पैसा , रूप रंग सब गौण हो जाए ….पर हम सब लोग इतनी सी बात जैसे जानकार भी अनजान बन जाते है ….

इन सारी समस्याओ में सबसे बड़ी समस्या है ..कोई भी माता पिता ..अपनी लाडली को दुनिया की नजर से नहीं देख पाते ..उन्हें अपनी लाडो ..दुनिया की सबसे सुन्दर लड़की लगती है ..जिसमे उन्हें सिर्फ गुण ही गुण नजर आते है ….पर हकीकत में ऐसा होता नहीं और जब हकीकत का सामना होता है ..तब लड़की का तो दिल टूटता ही है ..घर वाले को भी मायूसी से गुजरना पड़ता है ……

मेने कितने ही घरो और परिवारों में देखा है …की माँ बाप अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए ..लडकियों को बस इक रटा रटाया जुमला बोल देते है … की ..जब अपने घर जायेगी वंहा कर लेना … अरे वंहा क्यों …. यंहा क्यों नहीं ?अधिकतर माता पिता अपनी लड़की के नाज नखरे तो उठा लेटे है ..पर यह नहीं समझ पाते की ..उनकी बेटी जिसके घर जाएगी वंहा कोई उन्हें क्यों बर्दाश्त करेगा ? बस इन्ही अंधे लाड प्यार में लडकिय भी सपनो की दुनिया में खोई रहती है ..की ..उनमे जैसे कोई कमी है ही नहीं ….

इन सपनो में उलझे और माँ बाप की ऊँची अंधी इछाये …धीरे धीरे समय को निगलती जाती है और देखते ही देखते उनकी नाजुक कली उम्र के कई पड़ाव पार कर जाती है ….

वक़्त के साथ साथ धीरे धीरे आने वाले रिश्तो में कमी होने लगती है ..कल तक ..जो लडको पलके बिछाये खड़े होते थे …उनकी नजरो में ऐसी लडकियों के प्रति आकर्षण कम होने लगता है ….अंत में थक हार कर माँ बाप आनन फानन में अपनी झूटी शान को रखने के लिए …अपनी नाजुक कली को किसी ऐसे घर में दे देते है ..जन्हा उसे सारी जिन्दगी सिर्फ आंशु , रुसवाई और जिल्लत के कुछ नहीं मिलता ….

सच यही है …की कभी भी किसी के सपनो का राजकुमार नहीं आता…जो लड़कियां और माता पिता जीवन में सपनो में खोय रहते है ..उन्हें इक दिन हकीकत का कठोर धरातल उनके पावं में जीवन भर के लिए कभी ना ख़त्म होने वाले छाले दे देता है …

अपनी लडकियों के लिए राजकुमार ना ढूंड कर ..आप इक योग्य और लायक हमसफर ढूंढे ….

उसके माँ बाप की दौलत से उसकी योग्यता का मूल्याकन ना करे उसकी योग्यता को परखे ….

लड़की को जात बिरादरी के नाम पे देने की बजाय..उसे दे जिसमे इंसानियत समझने की कुवात हो … भले ही वोह किसी भी जात बिरादरी का हो ….

चाहे वोह मान सम्मान में आप से कम हो ..पर उसमे अपना आत्म सम्मान हो ….

भले ही उसके पास ज्यादा दौलत ना हो…पर उसका चरित्र ही उसकी सबसे बड़ी दौलत हो …

ऐसा वर देखे जो आपकी लड़की का सच्चा हमसफर बन सके …..ना की उसके सपनो का राजकुमार …जो सिर्फ किस्से कहानियो में ही आता है ….हकीकत में नहीं ?

by

Kapil Kumar

Awara Masiha

Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.’ ”

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