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मूल स्वाभाव (The Basic Instinct)

Awara Masiha - A Vagabond Angel
Awara Masiha - A Vagabond Angel
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बहुत समय पहले की बात है हस्तिनापुर- में राजा उदय वीर सिंह का राज था ।

राज्य की इक मलिन बस्ती में इक बच्चे ने जन्म लिया , दाई ने जैसे ही बच्चे को देखा तो अवाक् रह गयी और बिना कुछ बोले बच्चे को मां के पास छोड़ कर चली गयी।

घर के जिस सदस्य ने भी बच्चे को देखा तो अशर्य्चाकि- त रह गया  और  किसी ने भी बच्चे को छुवा तक नहीं ।जब बच्चे के दादा ने यह सुना तो वोह अपना मोह छोड़ न पाया और अपनी बहु के प्रसव घर में खुद  चला आया और बच्चे को अपने हाथो में उठा लिया । बच्चा जन- म के वक़्त से ही खुली आँख से अपने दादा को निहार रहा था ।

वक़्त के साथ बच्चा बड़ा होने लगा और उसके गुण दिखलाई देने लगे । उसकी उम्र के बच्चे पेड़ पर सीधा चढ़ते तो वोह पेड़ पर गिलहरी की भांति उल्टा चढ़ने का प्रयास करता और हंसी का पात्र बनता । बच्चे दौड़ कर खेलते तो वोह इक टांग  से कूद कर दौड़ता , बच्चे मां के गले लिपट उसकी माता के आँचल में दूध पीते , वोह सीधा गाय के थन में मुंह लगा दुध पीता| उसकी इन हरकतों की वजह से घर में उसका नाम “कपिल ” पड  गया !

बच- न में ही मां बाप उससे दूर रहते शायद बाप को अपने पिता न होने का भय सताता और मां को अपने पति के भय से अपनी मां होने का विश्वास नहीं होता ।

इस बेकार के शक में बेचारा बच्चा माता-पिता और इतने सगे  सम्बन- धी होने के बावजूद घर में अकेला सा रहता । जिस साल कपिल पांचवे वर्- में था , जन्म अष्टमी के दिन राजा उदय व- र सिंह के यंहा इक  कन्या ने जन्म लिया । राजा ने कन्या का नाम “दिव्य्लक्- ्मी ” रखा । वक़्त के साथ कन्या बड़ी होने लगी ,अकेली संता- न होने के कारण राजा उदय ने  कभी “राजकुमारी – दिव्यलक्ष्मी ” से कन्या की तरह वयवहार नहीं किया ।

राजकुमार- दिव्यलक्ष्मी लडको की तरह घुड़सवारी , तलवारबाजी और तीरंदाजी  – रती ।

उसमे नारी जैसी कोमलता के साथ साथ पुरुषो जैसे आचार विचार थे , राजकुमारी को “शिकार” खेलना बड़ा अच्छा लगता था , राजा उदय के कई बार मन करने के बावजूद वो नजर  बचा कर अकेले खुद शिकार पर निकल जाती । रानी उसकी इन उदंडता पर नाराज होती पर राजा के प्यार की वजह से कुछ न बोल पाती ।

राजा के इस अंधे प्यार की वजह से राजकुमारी”दिव्यलक्ष्मी” दि- पे दिन जिद्दी होती गयी । अपने सामने वो किसको कुछ न समझती और दुसरो का मजाक उड़ने का कोई मौका न छोडती ।धीर धीरे जब राजकुमारी बड़ी होने लगी तो राजा को उसके लिए योग्य वर की चिंता सतान- लगी ।वैसे तो राजकुमारी सर्वगुण संपन्न थी पर उसकी उदंडता, उसका सबे बड़ा अवगुण थी , इसी बजह से कोई भी राज्यपरिवा- र उसे अपने घर की रानी बनाने में हिचकिचाता था ।

राजकुमा- ी दिव्यलक्ष्मी का आजा सोलहवां जन्मदिन था सारा राज्य उसके जन्मदिवस की तैयारी में मशगुल था , की राजकुमारी सबकी नजर बचा , शिकार पर अकेले निकल गयी ।

इक शेर का पीछा करते करते वोह अनजान जंगल- में भटक गयी ।

भूखी प्यासी राजकुमारी दिव्यलक्ष्मी.. आज उस दिन को कोस रही थी की उसने अपने बड़ो का कहना क्यूं नहीं माना और मन ही मन इश्वर से प्राथना कर रही थी इस बार उसे इस मुसीबत से निकाल देंगे  तो जीवन भर किसी का मजाक नहीं उड़ाएगी और बड़ो की आज्ञा का पालन करेगी ।

भटकते भटकते राजकुमारी , उस मलिन बस्ती की तरफ आ गयी जन्हा कपिल अपने साथियों के साथ गावं के नजदीक के जंगल में खेल रहा था ।

कपिल पेड़ से उल्टा चिपका गिलहरी की भांति निचे उतर रहा था । की राजकुमारी की नजर उस पर पड़ी और यह नजारा देख वोह जोर जोर से खिल खिला उठी ।

किसीकी के हंसने की आवाज सुन कपिल का संतुलन बिगड़ गया और वोह मुंह के बल जमीन पर आ गिरा । उसे गिरा देख राजकुमारी और जोर जोर से हंसती , उसके हंसने की आवाज जंगल में बैठे पशु पक्षी भी चहचहाने लगे और इक सुन्दर और मोहक सा कोल्हाल हो- े लगा ।

सारे  नवयुवक  अपना खेल छोड़ उस सुन्दरी को इक टक देखने लगे ।उन्होंने आज से पहले इतनी सुन्द- नारी नहीं देखि थी और न ही उन्होंने किसी को इतने मोहक और सुन्दर कपड़ो में देखा था ।राजकुमारी- ने अपनी हंसी रोक ,कपिल से पुछा उसे बहुत प्यास और भूख लगी है क्या वोह उसकी मदद कर सकता है ?

कपिल राजकुमारी दिव्यलक्ष्मी को ले अपनी मलिन बस्ती में ले आया , राजकुमारी ने आज से पहले इतनी गरीबी और गंदगी नहीं देखि थी , उसे वंहा खाने पिने में बहुत झिझक हो रही थी ।पर पेट की आग ज्यादा देर तक सही गलत और अच्छे बुरे का भाव रहने नहीं देती ।

राजकुमार- ने रात में थोडा बहुत खाया और सो गयी , अगली सुबह कपिल उसे राज्य की सीमा के पास छोड़ने के लिए  चल दिया । राजकुमारी घोड़े पे सवार और कपिल उसके साथ पैदल चल दिया|

रास्ता दुर्गम और लम्बा था । चलते चलते राजकुमारी और कपिल थक कर चूर होगये !

राजकुमारी को कपिल पर दया आगयी और उसने उसे घोड़े पर बैठने को कहा ।

कपिल ने अपनी और उसकी स्थिति को समझ बैठने से साफ इंकार कर दिया । इसपर राजकुमारी बहुत क्रोधित हुयी और उसने घोड़े की लगाम से कपिल को पीट दिया ।अचानक हुए इस हमले से कपिल का संतुलन बिगड़ गया और वोह जोर से जमीन पर  गिर पड़ा  और उसके मुंह से खून की धारा बहने लगी!

उसे गिरा देख  राजकुमारी का कोमल मन पछतावे से भर उठा और वोह कपिल से छमा याचना करने लगी |

उसने कपिल को  उठाकर घोड़े पे बैठा दिया और खुद पैदल चलने लगी ।कपिल के कई बार मना  करने के बावजूद उसने उसकी न सुनी ।

महल के नजदीक कपिल राजकुमारी को छोड़ वापस अपनी बस्ती में आ गया । राजकुमारी महल में आई ,तो सबने उससे तरह तरह के सवाल किये!

पर हर वक़्त की  खिलखिल- ने वाली राजकुमारी आज गुमसुम गुडिया सी थी ।

“राजकुमारी  शिकार करने गई और शिकार होकर आई  थी”

उसका मन ना  जाने कान्हा पर था , राजकुमारी अब गुमसुम रहती , न तो कुछ खाती पीती , न ही पहले की तरह शरारत करती । उसके इस बदले वयवहार से महल में होने वाली चहल पहल इक , इक सन्नाटे में तब्दील हो गयी ।

कई दिन बीत गए और राजकुमारी की पुरानी हंसी और चंचलता न लोटी ।

राजा के कई बार बार पूछने पर राजकुमा- ी ने बताया की वोह शिकार करते करते इक मलिन बस्ती में पहुंच गयी थी और वंहा के रहने वाले इक नौजवान से उसे अजीब सा लगाव हो गया है जिसकी याद उसे हर वक़्त आती रहती है अगर वोह उसे न पा सकी तो ज्यादा दिन वोह जीवित न रह पायेगी ।

राजा उदय के लिए यह इक अजीब और गंभीर समस्या थी !कैसे इक राजा अप- ी फूल सी राजकुमारी को इक मलिन बस्ती में रहने वाले युवक से ब्याह दे । राजकुमारी की तबियत में कोई सुधर न देख राजा उदय ने इसे किस्मत का फैसला समझ राजकुम- री का विवाह मलिन बस्ती में रहने वाले उस युवक कपिल से कर दिया ।

जो युवक खुले जंगल की आजादी में पेड़ो पर चढ़ कूद कर  पला बढा , जिसने खुले बहते – रनों और नदियों में स्नान किया , जिसके पशु पक्षी  इंसानों से ज्यादा मित्र थे । उसे महल की चमक चकाचोंध करती , पकवान उसे वोह तृप्ति न  दे पाते जो उसे सादे भोजन से मिलती थी ।महलो की जिन्दगी उसे इक कैद खाने जैसी लगती |

राजक- मारी का अँधा प्यार उसे आनंद की जगह इक बंधन का सा अनुभव देता! धीरे धीरे कपिल अपनी चंचलता खो बैठा , जो युवक कल तक अपनी अजीब अजीब हरकतों से लोगो को हंसाता था अचानक गुम-सुम रहने लगा ।राजकुमारी- अपनी तरफ से बहुत कोशिश करती पर वोह कपिल की वोह चंचलता वापस न ला पाती जिसकी वोह दीवानी थी |

मछली का संसार पानी और पक्षी का जीवन खुला आसमान होता है ! भला यह, इनसे दूर कितने दिन जीवित रह सकते है ।

धीर धीर कपिल कमजोर हो गया और फिर बीमार रहने लगा ।

बड़े बड़े हाकिम आये पर वो उसका मर्ज समझ न पाए । इक दिन राजकुमारी कपिल के सिरहाने बैठी थी की राज्य के धर्म गुरु महल में आये और उन्होंने र- जकुमारी से मिलने का आगाह किया ।राजकुमारी- बडे उदास मन से उनसे मिलने गयी , उन्होंने राजकुमारी से उसकी उदासी का कारण पूछा तो राजकुमारी ने रोते रोते सारी दास्त- ँ उन्हें सुना दी कैसे वो कपिल से मिली और कैसे दोनों का विवाह हुआ ।

राज्य गुरु ने थोड़ी देर सोच विचार के बाद राजकुमारी से कहा हमें , तुम्हे और राजा को इस पर विचार विमर्श् करना  होगा ।राजकुमारी- गुरु सो बोली कपिल की आयु के लिए वोह किसी भी तरहा का त्याग करने के लिए तैयार है ।राज गुरु ने कहा अगर तुम उससे सच्चा प्रेम करती हो और उसके जीवन को सुखमय बना चाहती हो तो तुम्हे उसे वापस उस बस्ती में भेजना होगा ।पर यह कैसे संभव है गुरुदेव राजा उदय और राजकुमारी ने इक साथ कहा ?

राजकुमारी- ने इक पल सोचा और बोली गुरुदेव मैं सब राजपाठ छोड़ कपिल के साथ उस बस्ती में रहने चली जाउंगी । राजकुमारी की बात सुन राज गुरु और राजा उदय चिंता में पड़ गए । उनको चिंतित देख राजकुमारी बोली , महाराज और गुरुदेव अब आप लोगो की चिंता का क्या कारन है ?

गुरुदेव बोले , तुमने प्रेम के वसीभूत जो फैसला लिया है वो राज्य हित में ठीक नहीं है तुम्हारे जाने के बाद इस राजपाठ का कौन उतराधिकारी- होगा ?

इस वक़्त हमारा राज्य अन्य कई तरह की आपदाओ से पीड़ित है ऐसे में राज्य की बागडोर किसी भावी शाशक के हाथ में होना जरुरी है तुम राज्य को छोड़ कर अपने प्रेम में पागल हो कर इतने लोगो के भविष्य को अँधेरे में छोड़ कर नहीं जा सकती ।

आगे तुम्हारा फैसला है ऐसा कह राजगुरु चुप हो गए ।

राजकुमार- ने कुछ न कहा और न सुना ! और  रथ में कपिल के साथ सवार हो जंगल की तरफ निकल पड़ी ।कई दिन बीत गए , राजकुमारी की कोई खोज खबर न लगी , राजकुमारी के जाने के बाद सदमे से राजा उदय की हालत बहुत ख़राब हो गयी और उन्होंने हमेशा हमेशा के लिए पलंग पकड लिया ।राज महल में वीरानी छा गयी  और राज्य में हाहाकार मचने लगा।

रात का वक़्त था , अचानक महल की चिराग जल उठे , राजा उदय ने बहुत दिनों बाद किसी कोलहल को सुना तो उनके मुर्दा चेहरे पर ख़ुशी के लहर आगई ।

तभी किसी सेविका ने दौड़ कर महाराज को राजकुमारी के आने की सुचना दी ।

राजकुमारी- को वापस अकेला आया देख महारानी और राजा बड़े अचंभित हुए और उन्होंने पूछा , उसके साथ कपिल क्यों नहीं है ।

राजकुमारी- ने अपने चेहरे को कठोर करते हुए रुंधे गले से कहा ,मेने अपने प्रेम का त्याग राज्यहित के लिए कर दिया है। अगर मै-  उसके साथ जंगल में रहती तो राज्य में अराजकता फैलती जो मेरे कर्तव्य बोध का मुझे अहसास कराते !

अगर मैं अपने पति कपिल के साथ यंहा रहित तो उसकी आजादी छीनती और उसकी जिन्दगी अपनी खुशियों की खातिर खतरे में डाल देती , जो मुझे किसी भी हालत में मंजूर नहीं  । खुले आसमान में आजाद रहना उसका मूल स्वाभाव है ! और

आप किसी के मूल स्वाभाव के विपरीत उसे अपने प्रेम की कैद में ज्यादा दिन नहीं रख सकते है !

इसलिए मेने अपने पति को उसकी जिन्दगी की खातिर उसे उसके वातावरण में आजाद कर दिया है |

राज्य के हित में राज्य  में रहना मेरा मूल कर्तव्य है ।इसलिए राज्य हित के लिए ,मेने अपने प्रेम का और अपने प्रेमी के जीवन के लिए, मेने अपनी खुशियों को त्याग दिया है !

और ऐसा कह राजकुमारी -दिव्यलक्ष्मी अपने शयनकक्ष  में सोने चली गयी ।

By

Kapil Kumar

Awara Masiha

Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.’ ”

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