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आज हिंदी मूवी “यह जवानी ……” देख कर निकल रहा था .. मूवी में लडकियों और औरतो की तादाद आदमियों और लडको से ज्यादा थी …और मूवी के बिच बिच में हमारी कुछ आजाद ख्यालात की आधुनिक नारियो की सिटी ….पिक्चर हॉल में बज जाती थी ….
खेर मूवी जो थी ..उसके बारे में तो क्या कहू …पर उसमे जो मोरल था …..वोह ऐसा की…. उसने कुछ सोचने पे मजबूर कर दिया …..की आज की नारी क्या चाहती है? ….
क्या उन्हें मालूम है की…. क्या सही है और क्या गलत ?…..खेर मुझे तो मूवी बहुत ज्यादा अच्छी ना लगी पर मुझे हैरानी इस बात की हुई की मेरी बीवी को यह मूवी बहुत अच्छी लगी ……
हाल से बहार निकलते वक़्त …..हमारे साथ ही ग्रुप में देखने आई हुई कुछ लडकियों और औरतो की बात सुन कर मेरा माथा ठनक गया …..
इक लड़की बोली दूसरी से ….
अरे यार क्या कूल मूवी थी ….रणवीर तो बहुत हॉट लग रहा था …दूसरी बोली क्या कूल पर्सनालिटी थी …उनका यह वार्तालाप चल रहा था ..और मैं उनकी बाते सुन कर हैरान था ……की यह लडकियां और औरते….
किस बिना पर उस करैक्टर को अच्छा , कूल या हॉट बोल रही है …..
मूवी में हीरो इक दिल फैंक इन्सान होता है ….जो सिर्फ अपने लिए जीता है ..जिसे सिर्फ अपने सपने प्यारे है …किसी भी लड़की की बैजत्ति करना , उनके साथ दिल्लगी करना उसे पसंद है …इतना ही नहीं ….
जिस भी लड़की को देखता है वो उसके साथ सोना चाहता है ….
उसकी इस अव्रागर्दी को …..मूवी की हेरोइन भी बिना किसी चूं चुपड़ के कबूल करती है ….अपितु उसके प्रेम में पागल बन उसका इंतजार भी करती है …
उधर मूवी का हीरो अपनी जिन्दगी में रोज नयी सुबह इक लड़की या औरत के साथ सोता है …
सवाल यह है ….की आधुनिकता का मतलब क्या है? ….
अगर मूवी में लड़की भी रोज इक नए मर्द के साथ सोती तो ..बात समझ में आती की भाई ….हम पश्चिम वालो को कॉपी कर रहे है ……
सिर्फ आदमी दिन दहाड़े …नित नयी लड़की को लाइन मारे …उनके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाये ..और मूवी की हेरोइन उसके इंतजार में मीरा बन के रहे ….तो बात कुछ सोचने पे मजबूर करती है …..की ……
उसने इक बार भी हीरो के चरित्र पर सवाल क्यों नहीं उठाया ….की तू क्या है ?
तेर चरित्र क्या है …..तुझे प्रेम का कोई अर्थ मालूम भी है या नहीं ?
जब तू किसी के साथ सो चूका है ….तो मैं तुझे क्यों कबुल करू ?
अब सोचने वाली बात यह है …..अगर मूवी की हेरोइन ऐसी होती की…. वोह भी हर दिन इक नए आदमी के साथ सोती तो ….क्या कोई मूवी का हीरो उसे अपनाता या उसका जिन्दगी भर इंतजार करता? …..
खेर उन औरतो और लडकियों की बाते सून …..मेने उनसे उनकी राय लेने के इरादे से पूछ लिया …आप लोगो को मूवी कैसी लगी ?….
सब इक साथ बोली …ग्रेट ….वैरी गुड …
और मूवी का हीरो …अरे क्या कूल बंदा है …दूसरी बोली ..ओह् वोह तो बहुत ही हॉट है …..
मेने पुछा …क्या आप ऐसे इन्सान को अपना बॉयफ्रेंड या हस्बैंड बना लेंगी ….जो अपनी जिन्दगी में रोज इक नयी लड़की के साथ सोता हो? …..
मेरा यह प्रशन सुन ….उनमे से इक कुछ झेपी और बोली …आप तो पुराने ख्यालात के है और ऐसा कह वोह सब इक ठहाका मार कर हंस दी …..
उनके हसने ने मुझे अभी कुछ दिन पहले देल्ही के rape की यादे ताजा कर दी …..की …ये वोह ही लडकियां और औरते थी …..
जो रेप के बाद बड़े आक्रोश में थी …की समाज में औरत की इज्जत खतरे से खाली नहीं है?
सारे मर्द सिर्फ औरत के शरीर को हड्डी समझ इक कुत्ते की भांति ललचाई नजरो से घूरते है ….
मुझे यह तो नहीं पता की ….वोह कौन से कुत्ते है …..पर जब …आज कल की मूवी देखता हूँ तो सोच में पड जाता हूँ ….
और यह बात सिर्फ इस मूवी के सन्दर्भ में नहीं बल्कि ….आज कल की नारी की पसंद देख ले… …
१.आई मी और मैं
२.कॉकटेल
३.यह जवानी …..
इन सब मूवी में हीरो लडकियों को सिर्फ शौक के लिए अपने साथ रखता है …सबसे बड़ी शर्म की बात है…..की हेरोइन ..जानते हुए की ….हीरो ..आये दिन रोज अपनी गर्लफ्रेंड बदलता है ….या किसी और के साथ सोता है ….हेरोइन को कोई भी शिकायत नहीं ?
अगर हीरो और हेरोइन दोनो .. …ऐसा करते ..तो मैं इसे समाज का खुलापन समझ लेता …
पर सिर्फ मर्द तो दिन दहाड़े ….रोज नयो गर्लफ्रेंड बनाये ..और उसके इन कर्मो को देख ..उसकी गर्लफ्रेंड उसे छोड़ने के बजाये ..उसका इंतजार करे ..उसके लिए अंशु बहाए …
यह तो मेरी समझ से बहार की चीज है ..की आप अपने को इतना गिरा हुआ समझे की …आप अपनी इज्जत खुद भी ना कर सके ?….
क्या आज की नारी का स्वाभिमान मर चूका है ….क्या उन्हें सिर्फ खिलंदड , उद्दंड और गिरे हुए आदमी या लड़के पसंद है? ……
सवाल यह नहीं की मूवी क्या दिखाती है ?
सवाल यह है ….की आप क्या देखना पसंद करते है और आपके आदर्श क्या है ?…..
सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है …..की ….कैसे लडकियां और औरते ऐसे गिरे हुए चरित्र को ….इतना कूल या हॉट बोल रही है ?….
जिन मूवीस के नाम मेने ऊपर लिखे है ….इन सब मूवीयो में लडकियों और औरतो की तादाद बहुत ज्यादा थी ..और उन्हें यह सब पसंद भी बहुत आई …तो इसका मतलब क्या है ?…और सबसे उलझाने वाली बात यह है की ….आज की नारी क्या चाहती है ?…..
क्या नारी अपनी गरिमा खोती जा रही है ?….
क्या उसे अपनी इज्जत की तनिक भी परवाह नहीं ?
क्या आज की नारी का सवाभिमान मर चूका है ?…..
जब आप ऐसे चरित्र को …अच्छा समझ उन्हें अपना हीरो बनाते है …..तो आप समाज को क्या सन्देश देते है ….की जितना बुरा इक आदमी या लड़का होंगा …. उतना ही …वोह आपको हॉट या कूल लगेगा ….आखिर मूवी में ….आपने ताली और सिटी तो उसे देख कर बजाई थी …..
फिर ….इसी हॉट या कूल होने के चक्कर में कोई घनचक्कर आपके साथ छेड़खानी करता है ..फिर आप उससे क्यों खफा होती है ..वोह तो वही करेगा ..जो आज की नारी चाहती है …..
फिर इस छोटी सो छेड़ छाड़ …कब बात बिगड़ कर बलात्कार में बन जाए तो किसे दोष दिया जाए ???…..
आप ही तो चाहती है ….की कोई आये और आपका चिर हरण करे ?
क्योकि …आपने उसे ही तो कूल और हॉट कहा है ..जिसने इतने गिरे हुए चरित्र का परिचय दिया है …..
By
Kapil Kumar
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