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थैंक्स!

Awara Masiha - A Vagabond Angel
Awara Masiha - A Vagabond Angel
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सेमेस्टर ख़त्म हो चूका था और हम तीन लोग, मैं , विनीत  और वंदना , ट्रेन से अपने घर छुट्टी पर जा रहे थे! डब्बे में सब लोग हमारी बकवास से तंग आकर सो चुके थे |

पर हम जवान मस्ताने लोगो को भला नींद कान्हा आनी थी और हम तीन  लोग बैठे गप्पे हांक रहे थे । हमारा या कहे वंदना का फेवरेट टॉपिक था , हमारी बुराई करना ।

और उसमे बैठा विनीत भी पूरा पूरा सहयोग दे रहा था ! गलती किसी की नहीं थी , हमारी छुट थी और वो उसका भरपूर फायदा उठा रही थी और इन दिनों जब हम सब क्लास मेट घर वापस जाते हम जरा थोड़े पोलाइट हो जाते , वरना कॉलेज में तो उसकी बोलती हमारे सामने न निकलती ! असल में हम थे ही ऐसे की न चाहते हुए भी पोपुलर थे ।

जिस काम को करने में हमारे टीचर भी जिझकते (अपने कॉलेज के  डीन  /डायरेक्टर से मिलने से  ) वो काम हमारा पसंदीदा था !बल्कि यूँ कन्हे हमारा हमारे डीन से कुछ याराना (या उसके चमचे कह सकते है ) टाइप था , हम उनके कमरे में बिना किसी अपॉइंटमेंट के धड्ले से घुस जाते ।

दुसरे हमें बॉडी बुल्डिंग का शौक था ! अब देश के इतने बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज में जन्हा बच्चे चश्मे और किताबे भी न संभाल पाते हो वंहा हमारा जैसा इन्सान , बड़े बड़े पहलवानों और वेट लिफ्टर को खुले चुनौती देता था । न जाने क्यों लोग अक्ल और हस्ट पुष्ट शरीर का तालमेल नहीं मिला पाते ! हमारे यंहा जो भी Gym जाता वोह ,निपट बुद्धि , दादा और पहलवान जैसी विभूतियों से सुशोभित हो जाता ।औए कुछ मछर टाइप लड़के और लड़कियां हम जैसे लोगो को साइलेंट तरीके से गुंडा और मवाली घोषित कर देते ।

हमारी बस इक ही कमी थी की हम थोडा शायराना मिजाज के आदमी थे और जो हमारी पर्सनालिटी पे बिलकुल भी फिट नहीं था ! इसलिए लड़कियां हमें देख नजरे झुका लेती नहीं, तो हमारी शायरी रूपी कमेंट की शिकार हो जाती !

खेर वंदना, जो कॉलेज में हमसे दूर से भी बात करते डरती थी !

आज खुलम खुला हम जैसे शेर की पूछ अपनी मर्जी से तरोड़ मरोड़  रही थी !

गलती उसकी भी नहीं थी, वोह सोचती थी की ,वोह हमारे शहर की है तो , थोडा हमारे भाव देने से उसकी गर्ल्स हॉस्टल में दादागिरी हो जाती , पर हम भाव तो क्या उसे नजर उठा कर देखते तक न थे ! हम उन दोनों की  बकवास सुन सुन कर थक चुके थे और अपनी बीच वाली बर्थ  को खोल सोने लगे या यूँ कहे की आँख मूंद , विनीत और वंदना का वार्तालाप सुन रहे थे ।

रात का वक़्त था  और  ट्रेन अपने पुरे जोश और खरोश के साथ दौड़ लगा रही थी , बीच बीच में किसी स्टेशन के पास होने पर डब्बे में लाइट जरुर चमकती वरना पुरे डब्बे में हल्का सा उजाला था । अचानक हमने इक शोर सुना , और देखा की हमारे बगल वाले कूपे में से किसी के डांटने की आवाज आ रही है ! हम झट कूद पहुच गए मजमा देखने की, माजरा क्या है ?

विनीत और वंदना सबसे उप्पर वाली सीट पर बैठे देख रहे थे की क्या हो रहा है ।वंहा जाकर हमने देखा,

इक अधेड़ उम्र की औरत ,किसी आदमी पे चिल्ला रही थी और वोह आदमी भी उससे लड़ रहा था ।

मैं गया और पूछा आंटी जी बात क्या है ? तो वोह थोड़े होसले से बोली !

अरे भैया देखो, इस आदमी को, यह मेरी लड़की की सीट पर आकर लेट गया ।  मैं बोला वोह उठा की नहीं , वोह बोली ,अरे आप समझे नहीं ..यह मुआ, मेरी लड़की, जिस सीट पर लेटी थी, उस सीट पर ,उसके बग��� में लेट गया और जब मेने इससे कहा की हट जा, तो यह बोला , मैं थका हुआ हूँ ,मैं बोली की तू मेरी सीट पर बैठ जा!तो इसने मेरी नहीं सुनी और जाकर मेरी लड़की की सीट पर लेट गया ।

मेने उस आदमी को देखा जो करीब 27/28 साल का होगा , देखने में बड़ा शरीफ सा लग रहा था , उसने टाई और सूट पहना हुआ था और हाथ में इक ब्रीफ़केस था ।मैं बोला भाईसाहब आंटी जी ठीक कह रही है , तो ,तुम यंहा क्यानो लेटे ?

उसने मुझे देखा और बोला , जा बे जा अपना काम कर !

उसका इतना बोलना था की मेरा दांया हाथ उठा और उसके गाल पे ऐसा पड़ा की वोह सीट के निचे सीधा जाकर गिरा ।वोह उठा और कुछ बोले की , मेने उसके बाये गाल पे इक और दिया , इसके बाद तो उसकी हिम्मत  जवाब दे गयी , और मेने जिन्दगी में किसी को अगर इतना ठोका तो शायद वोह बदनसीब था , न जाने क्यों इतना गुस्सा आया की उसमे तब तक थप्पड़ मारता रहा जब तक अगला स्टेशन नहीं आगया ।

इतने हंगामे के बिच विनीत उतारकर आया और बोला यार पंगा हो जायेगा , छोड़ दे उसे , मेने उसकी इक ना सुनी और उस आदमी को धुनता रहा! जब स्टेशन आया तो मेने डब्बे का दरवाजा खोल जोर से इक लात मार और उसे डब्बे से निचे धकेल , डब्बा बंद कर लिया ।और आकर अपनी सीट पर लेट गया ।विनीत बोला , यार आज पंगा हो गया है कोई न कोई लफड़ा होगा !

मैं बोला ,  अबे चुप रह फटोले कंही के !     आंटी जी ने हमें कहा बेटा, तुम्हारी वजह से थोड़ी इज्जत बच गयी वर्ना वोह कमीना मेरी लड़की को छेड़ता रहता । हमने कुछ न कहा और नींद में सो गए ।

अचानक कुछ गिला गिला सा हमारे चेरे पे घुमा तो हड  बड़ा कर बोले , अबे कौन है ?

तो इक फुसफुसाने वाली आवाज आयी , चुप चाप लेटे रहो ,

और कोई लड़की हमारे चेहरे पे अपने होटो से अपने घर का रास्ता ढूंड रही थी ,

उसकी गर्म गर्म साँसे और परफ्यूम  की खुसबू हमसे विश्वामित्र का गुरु होने का सबूत मांग रही थी ,

थोड़ी देर बाद जब वोह अपना काम कर चुकी तो हमने पूछा , भाई यह मेहरबानी हम पे क्यों कर हुई !तो बोली , मैं रात को आपको , थैंक्स नहीं बोल पाई !

मैं बोला यार, तेरी मां ने देख लिया तो मेरा बैंड बजा देगी , तो वोह, मेरी सिट से हटते हुए  हंसी और बोली , मां ने ही कहा था , जाकर उसको थैंक्स बोल आ ! और ऐसा कह वोह अपने स्टेशन पर उतारकर चली गयी ।

हमें यह सब सपने जैसा लग रहा था और अपनी जीभ  फेरकर तसली कर रहे थे की सच है या झूट , तो देखा वंदना और विनीत हमें खाने वाली नजरो से घूर रहे थे , उनकी यह नजर देख हमने भी बड़ी बेशर्मी से अपनी पूरी जीभ अपने होटो पर फैरायी और इक  आंख उन दोनों को मार सो गए ।

By

Kapil Kumar

Awara Masiha

Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.’ ”

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