- 199 Posts
- 2 Comments
शाम के वक़्त 5 और 6 बजे केबीच मेट्रो में आने का आनंद ही कुछ और होता है .. सारी जवान खुबसूरत लड़कियां इस वक़्त ही देखने को मिलती है ..पता नहीं सारी खुबसूरत लड़कियां सिर्फ 9 से 5 वाला टाइम ही क्यों फोलो करती है ..जबकि हमारे यंहा फ्लेक्सिबल होउर्स है ….आज गलती से मैं ऑफिस से लेट हो गया था वरना मुझ जैसे बीवी बच्चे वाला शरीफ आदमी बेचारा सुबह अंधरे में ऑफिस जाता और जल्दी शाम को ऑफिस से घर भागता ….की… बच्चे घर में अकेले होंगे …..
वरना तो हम जैसे टीम टिमाते चिरागों को फुलझडियो कंहा मिलती ….. इन नयी नवेली तितलियों के दीदार की जगह हमें वही पूरानी अम्बसडोर ,फ़िएट या आउट डेटेड मॉडल ही नसीब होते थे पर आज तो बी ऍम डब्लू , फरारी और मर्सिडीज के दर्शन जी भरके किये …मन अपनी तरंग में नाच आरहा था…
आज इस बात की चिंता नहीं थी …..की बच्चे घर में अकेले होंगे ….बेचारो ने स्कूल से आकर कुछ खाया पिया होगा की नहीं …. बीवी 25/30 दिनों के लिए मायके गयी हुयी थी .. तो पूरी आजादी थी …सोचा बहुत दिन हो गए आज घर जाकर कोई “रंग बिरंगी ” पिक्चर देखी जाये …
सुना है ज़माने ना जाने कान्हा पहुंच गया हो और हम है की अभी तक बुझते चुल्हे का धुवां झेलते हुए ..उसमें आग अभी तक पुराने तरीके से लगा रहे हो … जैसे ही ड्राइव वे पे गाडी लगाई थी की ना जाने कैसे इक भूत की तरह इक सूटेड बूटेड आदमी हमारे सामने प्रगट हो गया ….और बोला .. Mr. कुमार ..
मैं बोला हाँ भाई हाँ तो ?…उसने कहा ….मेरा नाम पीटर है और आपको मिस एलिना ने अपने घर इन्वायट किया है … मैं चोंका .. भाई… इस नाम की किसी औरत को तो मैं जानता तक नहीं और जिसके पास सोफर ड्रिवेन गाड़ी हो और वोह भी इतनी अमीरजादी यह तो सपने वाली बात है … वोह मुस्कुराया और बोला …
शायद आप मिस एलिना से किसी केस के सिलसिले में कोर्ट में मिले हो और उन्होंने आपको अपने घर इन्वायट किया हो ….. अब मुझे याद आया अरे कुछ दिन पहले ही तो इक जज को लाइन मारी थी …..अब हम जैसा दिल फेंकू इतना याद थोड़ी ना रखता है की कब और कंहा किसे दिल देकर आ चूका है ….. मन ख़ुशी और उत्तेजना में नाचने लगा ..पर अंदर ही अंदर डर भी लग रहा था की हमारे जैसे आदमी को जज के साथ कैसे पेश आना आना चाहिए ?….
अभी तक हमारे इश्क का दायरा सेल्स गर्ल ,क्लर्क , एग्जीक्यूटिव , ब्यूटिशियन या छोटी मोटी नौकरी करने वाली लडकियों / औरतो तक ही सिमित था....
पर लॉ एंड आर्डर से खेलने मैं रिस्क लग रहा था …कब इक गलत कदम उठा और आप होगये बिना जमानत के अन्दर …. ….. जोश में इक बार पुलिसवाली को तो हम फिर भी झेल गए पर….. कानूनवाली …तो काली का अवतार है जरा सी गलती पे गर्दन ले उड़ेगी ….
मन ही मन बुदबुदाया ,अब जब अपने दिल को संभाल नहीं सकते तो झेलो उसके परिणाम …. अपने पर बहुत गुस्सा आ रहा था की इस डील में कोई फील गुड नहीं है ….खेर गाड़ी थोड़ी देर बाद इक आलिशान बंगले के आगे रुकी और ड्राईवर ने पूरी इज्जत बख्सते हुए हमारे लिया दरवाजा खोला और हमें घर के अन्दर छोड़ आया …..
अभी सोफे पे पसरे ही थे की इक मोर्डेन युग का अवतार हमारे सामने आकर खड़ा हो गया …..वोह कोई 30/32 की इक जन्मजात सुन्दरी इक ढीली जींस पे इक खदर का कुरता पहने हुए थी और इक पुराने फैशन का बड़ा ही गन्दा सा काला चश्मा उसकी सुन्दरता का चिरहरण हमारे सामने कर रहा था …
उसपे उसके काले लम्बे बाल जो किसी नागिन की उपमा पा सकते थे .. किसी अघोरी साधू के उलझे बालो से मुकाबला करते लगते थे ….अच्छी भली सुन्दर कन्या .. अपनी सुन्दरता का क़त्ल इस बेहरहमी से कैसे कर सकती है ?
यह सोच के मन बड़ा उदास हो रहा था .. जो हम जैसे लोगो को नयन सुख का चैन दे सकती थी… बड़ी ही बेदर्दी से अपनी छलकती जवानी और हुस्न का सरे बाजार क़त्ल कर रही थी …. उसने हमें ऊपर से निचे तक ऐसे निहारा …..
जैसे कोई दूध वाला बाकड़ी भैंस को खरीद रहा हो और इस बात की ताकीद कर रहा हो की यह भैंस वाकई में 20 लीटर दूध दे सकती है की नहीं …
उसने हमें इक तिरछी मुस्कान से घूरा और बोली तो आप है वो साहब है …जो पीकर गाडी चलाते है और जज को औरत समझ कर उल्लू बनाते है … हम भी तो देखे की दीदी को आप में ऐसा क्या लगा जो आपका इतना गुणगान कर रही थी ?…. मैं चोंक कर बोला ….ओह तो आप जज साहिबा की छोटी बहन है? ……
उसने अपने योवन के तरकस में से इक कातिल मुस्कान का तीर निकाला और हमपे दागा और बोली … कोई शक ? मैं बोला शक की गुंजाईश होती भी तो क्या होता ??.. वैसे आपका परिचय ….मेरा यह पूछना था की …उसने चोंक कर ऐसे देखा….
जैसे किसी नामी गिरामी गुंडे से किसी शरीफ बाबू ने हफ्ता वसूली पे उसका नाम पूछ लिया हो ….
continue reading……………
By
Kapil Kumar
Read Comments