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तांत्रिक प्रेम!–1

Awara Masiha - A Vagabond Angel
Awara Masiha - A Vagabond Angel
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आज दिन भर से बहुत बोर लग रहा था , न जाने मौसम का असर था या बहुत दिनों की भाग दौड़ के बाद इन्सान जब खाली बैठता है तो उसका मन उसे चैन से बैठने भी नहीं देता ..सोचा चलो Gym हो आते है शायद कुछ बोरियत ही कम हो जाये और थोडा बदन चुस्त दुरुस्त हो जाये !..Gym में भी थोड़ी बहुत एक्सरसाइज के बाद , मसल्स में दर्द होने लगा सोचा थोड़ी स्ट्रेचिंग ही कर ली जाये !इधर उधर नजर घुमा रहा था की..देखा Gym के एक रूम में किक बॉक्सिंग की क्लास शुरू होने वाली है …किक बॉक्सिंग की क्लास में पहले पहले सुन्दर कमसिन और नाजुक लडकियों को देख मन प्रसन होता था पर अब वंहा पर घरलू और थकी मांदी प्रोफेशनल अधेड़ औरतो का जमवाडा लगता है जो मन में आनंद की जगह अवसाद पैदा करता है …पर कोई चारा न देख मैं उस क्लास में घुस गया !

आज की क्लास कोई नयी ट्रेनर ले रही थी उसकी पीठ हम लोगो की तरफ थी उसने म्यूजिक स्टार्ट किया और शुरू हो गयी अपने मुंह से लगे स्पीकर पे चिल्लाने …पहले जेप .. फिर लेफ्ट किक , फिर राईट किक , फिर दो कदम आगे इक फ्रंट किक फिर दो कदम पीछे हुक …यह सब चल रहा था और हम उसकी आवाज को प्रोग्राम्ड रोबोट की तरह फॉलो कर रहे थे .. उसकी अपनी पीठ जो हमारे तरफ थी ,की ,उसने अपनी पोजीशन बदली और वोह हमारे सामने थी …ohh! ..My ..God .. क्या कोई इस कदर खुबसूरत भी हो सकती है ..लगताथाभगवननेउसेफुरसतमेंनहींवीकएंडमेंओवरटाइमकरकेबनायाथा …

उसे इक बार देखने के बाद मुझे  जेप ..हुक ..कट ..किक … कुछ भी सुनायी नहीं दिया ..

पहलेसेहीप्रोग्राम्डरोबोटजोउसकीआवाजकोफॉलोकररहेथेअब ..मेराजैसाबिगड़ाहुआरोबोटतोसिर्फउसेदेखअपनेहाथपावंचलारहाथा ..

साँस किसी धौकिनी की तरह चल रही थी ..पसीना ऐसे बह रहा था की जैसे कोई बाल्टी उप्पर से उड़ेल रहा हो ..उस कमरे में पसीने की बदबू और परफ्यूम की खुशबु का मिलन ऐसा था जैसा

राजाभोजऔरगंगूतेलीदोनोंमिलकरगलेमिलरहेहो ..

क्लास कब ख़त्म हुई पता भी न चला और सपना टूट कर हकीकत में आ गया …सब आदमी औरत बहार निकल, अपने अपने चेंजिंग रूम में चले गए ..मेने भी सोचा चलो स्टीम बाथ लेकर जक्कूजी में बैठा कर थोडा सुस्ताया  जाये और मैं जाकर जकुजी में बैठ गया… न जाने कब बैठे बैठे नींद सी लग गयी की आवाज आई!

सर उठ जाये …..क्लब बंद करने का टाइम हो गया है ..मेने जल्दी जल्दी नहा-धो कर क्लब से  बहार निकला और गेराज से अपनी गाडी निकालने के लिए उधर की तरफ चल दिया .. गेराज में पूरा सन्नाटा था लगता था सब लोग वंहा से जा चुके थे !मेने अपनी गाड़ी स्टार्ट करने के लिए जैसी ही चाबी इग्निशन पे रखी, की ,कंही से घुर घुर की आवाज आई, जैसे किसी की गाड़ी स्टार्ट न होने पे करती है .. अब इस वक़्त वंहा पर सिर्फ मेरी गाड़ी थी शायद कंही दुसरे कोने पे कोई अपनी गाड़ी को स्टार्ट करने की असफल कोशिस कर रहा था ..

मेने अपनी गाड़ी लेकर उधर की तरफ मोड़ ली , सोचा देखू किसी को कोई मदद तो नहीं चाहिए ?.. नजदीक पहुचने पर देखा किसी की कार का बोनेट उठा हुआ था और कोई उसमे झुक हुआ कुछ कर रहा था ..मैं कार से उतरा और पास जाकर बोल

..Excuse me ..Do you need some help ?..

मेरी आवाज सुन, किसी ने कहा क्या आप मेरी कार को जम्प स्टार्ट देंगे ..लगता है मेरी कार की बैटरी डाउन हो गयी है .. मेने बिना उसे दखे कहा, ठीक है मेरे पास जम्पर केबल है और मेने केबल अपनी कार में से निकाली और उसकी कार की तरफ चल दिया !वंहा थोडा सा अँधेरा था तो मुझे उसका चेहरा ठीक से दखाई नहीं दिया !मेने बिना उसे देखे केबल अपनी कार के बैटरी से जोड़ दूसरा सिर उसके हाथ में देकर बोल की केबल के दुसरे सिरे के इक टर्मिनल को अपनी कार की  बैटरी के पॉजिटिव से  और दूसरे सिरे को ग्राउंड पे लगा दे ।

उसने जैसे ही केबल मेरे हाथ से लेने के लिए बोनेट से सर बहार निकला  मुझे बिना कार  स्टार्ट किये ही तगड़ा झटका लगा , सामने वोह अप्सरा Gym से उतर कर गेराज में खड़ी  थी .. पहली बार इक इन्सान की तरह उसे इतने करीब से देख रहा था ….

उसकी मखमली त्वचा का रंग दूध में हल्का सा केसर घुला जैसा था , गुलाबी चेहरा जिसपे  उसके थोड़े से भरे हुए गाल जो उप्पर की तरफ उठे थे किसी सेब की तरह लग रहे थे  ,उसके अनार के दानो के माफिक दहकते अंगारे जैसे होट  , उसकी  नीली झील सी आँखे किसी को डुबोने के लिए काफी थी उसपर उसके सुनहरे लहराते बाल  और सांचे में ढला बदन किसी की भी जिन्दा धड़कनों को बंद करके के लिए काफी था !

जानेभगवननेकिसगलतीमेंउसेअप्सराओसेभीज्यादाखुबसूरतबनाकरधरतीपरभेजथा!

उसने कब मेरे हाथ से केबल ली और अपनी कार से लगा कर बोली.. अपनी कार को स्टार्ट करो , मैं रोबोट की भांति चलता हुआ गया और कार स्टार्ट कर दी , उसने अपनी कार को स्टार्ट करने की कोशिस की पर वो स्टार्ट नहीं हुयी …वोह बड़े परेशान भाव से बोली अब क्या करे ..इतनी रात में तो न तो मैकेनिक मिलेगा न ही टैक्सी .. करू तो क्या करू ? ….

उसकी यह बात सुन मैं नींद से जागा और बोल , चलो मैं तुम्हे ड्राप कर देता हूँ , बोलो कान्हा ड्राप करना है ?..उसने गहरी साँस ली और बोली , मैं यंहा से काफी दूर रहती हूँ , तुम्हे काफी वक़्त लग जायेगा , मुझे कंही पास में छोड़ दो , मैं वंहा से टैक्सी पकड़ लुंगी ..मेने कहा छोड़ो ,मुझे घर जाने की कोई जल्दी नहीं है , मेरी चिंता ना करो ..वोह मेरे साथ बैठ गयी और मैं उसे ,उसके बताये एड्रेस पर लेकर चल दिया .. रास्ते में हम दोनों खामोश रहे , वोह शायद परेशान थी और मैं शायद उसकी मौजूदगी से हैरान था .. न तो उसने कुछ कहा ..न मेने कुछ पुछा .. करीब इक घंटा गाड़ी चलाने के बाद हम उसके अपार्टमेंट की बिल्डिंग के पास पहुँच गए …

रात का करीब 10 बज चूका था मेरे घर में सब लोग अपनी अपनी मस्ती में मस्त ओर दिन की तरह शायद सो गए थे ! वरना अब तक तो मेरे सेल फ़ोन पे कई कॉल आ चुकी होती ..वंहा पहुँच , मेने अपनी गाड़ी वापस मोडी तो, उसने कहा … इक काफी तो पीकर जाते ..मैं तो यह सुनने के लिए कब से बेक़रार था ! झट गाड़ी को पार्क कर उसके साथ चलता हुआ उसके अपार्टमेंट में आ गया !.. उसने मुझे सोफे पे बैठने के लिए कहा और बोली मैं थोडा चेंज करके आती हूँ !मैं आधे अधूरे मन से सोफे पर बैठ गया …की मुझे लगा मुझे बाथरूम जाना पड़ेगा ..इतनी देर तक मैंने उससे उसका नाम तक नहीं पुछा और न ही उसने बताया था ..

मेने आवाज लगायी “Excuse me !” पर कंही से कोई जवाब नही आया .. सोचा थोड़ी देर इंतजार कर लेते है .. थोड़ी देर बाद रुकना मुश्किल हो गया तो मेने खुद रेस्टरूम जाने के लिए अपार्टमेंट में रेस्टरूम धुंडने लगा .. इक दरवाजा खोल के देखा तो लगा शायद वो बाथरूम है .. और बहार से आवाज लगायी …Is Any body there ?” पर कोई जवाब न पा ,मैं सीधा अन्दर घुस गया ..

देखा तो वंहा कोई नहीं था .. और मैं आम मर्दों  की तरह अपनी लघु  शंका को मिटाने लगा  ..अभी मेने ज़िप खोलकर शुरू ही किया था ..की अचानक बाथरूम के परदे के हटने की आवाज आई ,

मेने अपनी उसी स्थिति में होते हुए उधर की तरफ अपना रुख कर दिया … शावर के परदे के पीछे से वोह अप्सरा अपनी प्राकृतिक अवस्था में खड़ी थी .. जैसी ही हम दोनों की नजर मिली ..तो उसने मुझे उप्पर से निचे देखा और मैं तो अपनी सुध बुध खोया उसे उसी अवस्था में देखता रहा .. अचानक से उसने चिल्ला कर कहा ..अरे यह क्या कर रहे हो मेरा फ्लोर तो गन्दा मत करो …और उसने मेरा सर पकड कर घुमा दिया और बोली ..उधर की तरफ जाकर शू शू करो और इसके बाद.. फ्लोर साफ कर देना .. ऐसा कह वोह इक शरारती मुस्कराहट के साथ वंहा से चली गयी।। मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो रहा था ..की में जन्नत में हूँ या कंही और ,,क्या किसी और ने उसे कभी इस तरह से देखा होगा ?

क्याकोईस्त्रीइसकदरखुबसूरतहोसकतीहैकीआपकोयहफैसलाकरनामुश्किलहोजायेकीवोहकपड़ोमेंज्यादासुन्दरहैयाबिनाकपड़ोके ? …

इतनी औरतो को जीवन में देखा! पर कभी किसी को इतने करीब और इस अवस्था में रौशनी में देखने का पहला सोभाग्य था .. इससे पहले आदमी औरत के प्रेम वाली स्थिति तक आते आते, न जाने क्यों सब औरतो को रौशनी से दुश्मनी हो जाती और मेरे जैसा  सुन्दरता का  पुजारी दुनिया की खुबसूरत मुरतो को बिना  देखे ही स्वर्ग लोक हो आता था….पर आज बिना स्वर्ग गए , हमें इस अप्सरा के दर्शन हो गए!  आज पहली बार लगा की, जीवन सफल हो गया … बाथरूम को साफ़ कर जब बहार आया तो !

सरझन्नाझन्नारहाथा, हल्कप्यासकेमारेसूखरहाथा, .हाथपैरकांपरहेथेऔरदिलजोजोरसेधडकधडककरबहारनिकलनेकोबेताबथालगताथाकीमेराहार्टकिसीभीवक़्तफेलहोजायेगा!

अपनी नजरो को निचे कर बहार आकर  सोफे पर बैठ गया .. थोड़ी देर बाद वोह हुस्न की मल्लिका, इक सफ़ेद गाउन पहनकर जो शरीर पर सिर्फ जाली जैसा लगता था पहनकर आ गयी !

लगताथा ,वोहमेरेहार्टकीबीटफिर सेचेक करनेचलीआयी थी..

मेने बड़े डरते डरते उसे,अपनी मरी सी आवाज में सॉरी बोल  ..और वंहा से जाने के लिए उठ खड़ा हुआ ,की ,वोह मेरे सामने आकार खड़ी हो गयी और बोली अरे आप ऐसे सर झुका कर क्यों बैठे है ..उस बात को लेकर परेशान मत हो ..उसमे आपकी कोई ग़लती थोड़े न थी .. चलो थोडा सा मुस्कुरा दो ! तब तक  मैं आपके लिए कॉफ़ी बना कर लती हूँ .. मेने बड़ी धीमी आवाज में उससे कहा ! मुझे इक गिलास पानी मिलेगा ..वोह थोडा सा मुस्कुराई और बोली चलो किचन में चल कर लेलो वन्ही मैं ,तुम्हारे और अपने लिए काफी भी बना लुंगी ..उसकी आवाज के सम्मोहन से बंधा मैं उसके पीछे पीछे किचन में आ गया .. उसने इक गिलास हाथ में पकड़ा कर कहा, वंहा फ्रीज से पानी लेलो ..

मेने गिलास उसके हाथ से ले ,फ्रीज़ के दरवाजे में पानी भरने के लिए लगा दिया… की अचानक कोई खुशबु का झोका मेरे नजदीक आया .और मुझे अपनी पीठ पे नरम नरम  मुलायम सा कुछ चुभता सा लगा ..जैसे ही मैं मुड़ा तो हम दोनों इक दुसरे से गले मिलने वाली स्थिति में टकरा गए .. वोह हंसी और बोली मैं फ्रीज से दूध  लेने आई थी की तुम डर  के पीछे हट गए ..और ऐसा कह वोह मुझे शरारती नजरो से घूरने लगी 

नाजानेयहजालिमअप्सराकंहाकंहासेहमजैसेगरीबमर्दोंकोमारनेकेनुस्खेसीखकरआईथी .. आजइकबातसमझआगयीथीकीजिसकिसीकादिलकमजोरहोउसेहमेशाकिसी भीरूपवतीकीछायासेभीदुररहनाचाहिए .. अबमुझेसमझरहाथाकीपुरषोंकोऔरतोसेज्यादाहार्टअटैकक्योंआताहै  !………..

थोड़ी देर बाद वोह दो मग काफी के लेकर आगयी ! उसने इक काफी का मग मेरे हाथ में और खुद इक मग लेकर मेरे सामने बैठ गयी ..

इकयहगर्मगर्मकाफी ,दूसरीयहआगलगातीअप्सरा ! लगताथाआजहमारेशरीरकीबिल्डिंगजलकेहीरहेगी ..

उसने चुस्की लेते हुए पुछा  ,तुम नर और नारी के  प्रेम के बारे में क्या जानते हो ? .. बड़ा ही अजीब सवाल था ..मैं बोला कैसा प्रेम ..वोह बोली ..क्या तुमने “तांत्रिक प्रेम ” के बारे में सुना है , मैं बोला नहीं ..वोह बोली क्या तुम सीखना चाहते हो ?

मुझ जैसा जन्म जन्म का प्यासा और कोई पूछे क्या तुझे अमृत पीना है ?..

बिना जिझक के बोला अगर आप सिखायंगी तो जरुर  सिखंगे ...वोह मुस्कुरायी .. बोली ठीक है .. तुम अपने सारे कपडे उतार कर यह गाउन पहन लो! और बेड रूम में आजा ना  ...इक बात को बहुत ध्यान से सुन लो यह प्रेम सिर्फ स्त्री के आवश्यकताओ के अनुसार होता है इसमें पुरुष के आनद के लिए कोई स्थान नहीं! अगर तुम जरा भी बहके तो मैं तुम्हे धक्के दे कर यंहा से निकाल दूंगी ..इसलिए गाउन पहनने से पहले अपना फैसला सोच समझ के लेना ...ऐसा कह वोह वंहा से अपने बेड रूम चली गयी ...

….क्रमश …….


तांत्रिक प्रेम!–2

By

Kapil Kumar

Awara Masiha




Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.’ ”


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