किया इश्क़ था मैंने…. Awara Masiha - A Vagabond Angel एक भटकती आत्मा जिसे तलाश है सच की और प्रेम की ! मरने से पहले जी भरकर जीना चाहता हूं ! मर मर कर न तो कल जिया था, न ही कल जिऊंगा ! किया इश्क़ था मैंने ,की दीवाना लोग मुझे कहते
है अफ़सोस की ग़ालिब उन्होंने, किसी और का नाम रख दिया
भोंको मेरे सीने में तुम खंजर, जरा नफ़ासत से
कहीं कांप ना जाये तेर हाथ नज़ाकत में
डर नहीं मुझे की, मेरा कितना लहू बहेगा
गिरा अगर तेरा इक क़तरा भी
तो यह आशिक बिना मौत ही मरेगा …
कब से मुद्दत हो गई किसी से गीले शिकवे करने की
अब तो बेवफा भी मिल जाए तो उन्हें सलाम कहता हूँ
कब तक ढोता रहूँगा बोझ ,इस टूटे दिल का
इसलिए दिल के टुकड़े, हसीनों को तोहफे में देता हूँ ..
तेरी सुंदरता पर कविता लिखूं या फिर कोई नज़्म
तेरे हुस्न की तारीफ़ करूँ या सज़दे में झुका दूँ यह सर
तेरी जवानी को शोला कहूं या फिर शबनम
मेर पास इतने शब्द ही नहीं, जिनसे लिख सकूँ मैं तुझ पर कोई ग़जल …
तेरे गुलाबी होंठों को मैं क्या नाम दूँ
कहूं दूँ इन्हे में जाम तो फिर अमृत किसे कहूं
नहीं है मेरी मर्दानगी मे वह दम
की इन्हे चूमने की हिमाकत मैं करूँ
प्यासा हूँ मैं इस कदर जन्म जन्म का
चूम लिया इन्हें तो बन जाऊँगा शराबी उम्र भर का …
By
Kapil Kumar
Awara Masiha
किया इश्क़ था मैंने ,की दीवाना लोग मुझे कहते
है अफ़सोस की ग़ालिब उन्होंने, किसी और का नाम रख दिया
भोंको मेरे सीने में तुम खंजर, जरा नफ़ासत से
कहीं कांप ना जाये तेर हाथ नज़ाकत में
डर नहीं मुझे की, मेरा कितना लहू बहेगा
गिरा अगर तेरा इक क़तरा भी
तो यह आशिक बिना मौत ही मरेगा …
कब से मुद्दत हो गई किसी से गीले शिकवे करने की
अब तो बेवफा भी मिल जाए तो उन्हें सलाम कहता हूँ
कब तक ढोता रहूँगा बोझ ,इस टूटे दिल का
इसलिए दिल के टुकड़े, हसीनों को तोहफे में देता हूँ ..
तेरी सुंदरता पर कविता लिखूं या फिर कोई नज़्म
तेरे हुस्न की तारीफ़ करूँ या सज़दे में झुका दूँ यह सर
तेरी जवानी को शोला कहूं या फिर शबनम
मेर पास इतने शब्द ही नहीं, जिनसे लिख सकूँ मैं तुझ पर कोई ग़जल …
तेरे गुलाबी होंठों को मैं क्या नाम दूँ
कहूं दूँ इन्हे में जाम तो फिर अमृत किसे कहूं
नहीं है मेरी मर्दानगी मे वह दम
की इन्हे चूमने की हिमाकत मैं करूँ
प्यासा हूँ मैं इस कदर जन्म जन्म का
चूम लिया इन्हें तो बन जाऊँगा शराबी उम्र भर का …
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