गुलाबी होंठ Awara Masiha - A Vagabond Angel एक भटकती आत्मा जिसे तलाश है सच की और प्रेम की ! मरने से पहले जी भरकर जीना चाहता हूं ! मर मर कर न तो कल जिया था, न ही कल जिऊंगा ! गुलाबी होंठ
यह गुलाबी रसीले होंठ है या छलकता जाम
जिन्हे चुम का मस्त हो जायूँ या पी कर कर लूँ शाम
इन होंठों में ढूंढूं अमृत या फिर ले लू कुछ और काम
यह दरिया है ऐसी मस्ती का, जिन में डूबूं या हो जायूँ पार
जब दहकते होंठ है तेरे, फिर अंगारों का तुझे क्या काम
परवाने जलते है शमा पर, तुझे चूमूँ तो हो जायूँ कुर्बान
तेरी आँखे है या झील सी खाई , जिनकी गहराई मुझे कभी समझ ना आई
तेरी आँखे है या मस्ती का साया , इनसे भला कौन है बच पाया
जैसे पूछती है मुझसे यह हज़ारों सवाल
इनमे कब डूबोगे मेरे सरताज़
तेरे माथे की यह कैसी बिंदिया , जिसने छीनी मेरी नींदिया
जो आती है मेरे ख़्वाबों में
जैसे चमके खंजर किसी सन्नाटे में
मुझे जगा कर पूछती है हर बार
है हिम्मत इतनी की मेरे पास आओगे या फिर मेरी चमक से ही डर जाओगे
यह गुलाबी रसीले होंठ है या छलकता जाम
जिन्हे चुम का मस्त हो जायूँ या पी कर कर लूँ शाम
इन होंठों में ढूंढूं अमृत या फिर ले लू कुछ और काम
यह दरिया है ऐसी मस्ती का, जिन में डूबूं या हो जायूँ पार
जब दहकते होंठ है तेरे, फिर अंगारों का तुझे क्या काम
परवाने जलते है शमा पर, तुझे चूमूँ तो हो जायूँ कुर्बान
तेरी आँखे है या झील सी खाई , जिनकी गहराई मुझे कभी समझ ना आई
तेरी आँखे है या मस्ती का साया , इनसे भला कौन है बच पाया
जैसे पूछती है मुझसे यह हज़ारों सवाल
इनमे कब डूबोगे मेरे सरताज़
तेरे माथे की यह कैसी बिंदिया , जिसने छीनी मेरी नींदिया
जो आती है मेरे ख़्वाबों में
जैसे चमके खंजर किसी सन्नाटे में
मुझे जगा कर पूछती है हर बार
है हिम्मत इतनी की मेरे पास आओगे या फिर मेरी चमक से ही डर जाओगे
By
Kapil Kumar
Awara Masiha
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